________________
newww.r- - .. ...........mamimarn...m
Histekist.inkutritrkatrint.tituttituntukkutruertskekatrickrt.kekot.kuttekitntatukittituttar
९८ जैनग्रन्थरत्नाकरे . जुगलरीति तज नीति उघरता । ताते हैं ऋष्टिके करता ॥ असिमसिकृषिवाणिजके दाता । ताकारण विधि नाम विधाता क्रियाविशेष रची जग जेती । जगत विरञ्चि कहें प्रभु सेती जुगकी आदि प्रजा जब पाल। तब जग नाम मजापति ऑल ३५,
दोहा। कियो नृत्य काहू समय, नटी अप्सरा वाम । ॐ जगत कहै ब्रह्मा रचो, तिय तिलोत्तमा नाम ॥ ३६॥
चौपाई। गुरुविन भये महामुनि जब हीं । नाम स्वयंभू प्रगटोतवहीं॥ सध्यानारूढ़ परमतप साधे । परमइष्ट कह जगत अराधे ॥३॥ भरतखंडके प्राणी जेते । प्रजा भरतराजाके तेते।
भरतनरेश ऋपभकी साखा । ताते लोक पितामह भाखा ३८ * केवलज्ञानरूप जव होई । तब ब्रह्मा मापै सब कोई ॥ * कंचनगढ़गर्भित जग भासै । नाम हिरण्यगर्भ परकास ॥३९॥
दोहा। कमलासनपर चैठिके । देहिं धर्म उपदेश । चमर छन्न लख जग कहै । कमलाशन लोकेश ॥ ४०॥
Httikot-tatist.tituttt.tituttitute.k-X.Z-E-SEXkikikatrkrt.titutik.kutt.ttitutiki
चौपाई।
आतमभूमि रूप दरसावै । तबहिं आत्मभू नाम कहावै ॥ सकलजीवकी रक्षा भाखै । नाम सहस्रपातु जग राखै ॥४१॥.
देते हैं. २ रचो अर्थात् मन्न हुआ.
DyanMayा
+ + +
- HIYA - + + +
क
+
4
-