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बनारसीविलासः xxmmmmmmwwwwwmamarrrrrrrrrrr.
भूपन नवीन वन्त्र मलहीन सत्रहीके,
घर घर निकट कल्पतरूवाटिका! नाहीं रागद्वेषभाव नाहीं बंधको बढ़ाव,
नाहीं रोग ताप न बिलोंके कोऊ नाटिका ।। विविधपरिग्रह सबके घर देखिये पै,
काहूके न पोरि परद्वार न कपाटिका । अलपबहारी सब मृदुतनधारी सत्र, सुंदरअकारी सब ऐसी परिपाटिका ॥ २०॥
दोहा। घर घर नाटक होहिं नित, घर घर गीत संगीत । कवहूं कोउ न देखिये, बदनपीत भयभीत ॥ २१ ॥
मनहरण। जिनके अलप संकलप विकलप दोऊ,
थोरो मुखजलेप अलपअहमेवता । जिनके न कोऊ अरि दीरघ शरीर घरि,
त्रिपतिकी दशा धेरै विपति न येता ॥ जिनके विषै वहाव पल्योपमतीनआव,
सवै नर राव कोऊ काहूको न सेवता । १ मकानका भागेका भाग. २ कियाइ, पाला. मोशन मुन्न. ४ बोलना (मितभाषि). ५ अहंपना. अनुनय करना तीन पत्यती आयु.
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