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Hakattakkatutiket kettukkukukatatakutukuk diketukutikitettitatet.kukutkikutttttttttt
जैनग्रन्थरत्नाकरे प्रश्नोत्तरमाला, अवस्था मतान्तर दोहरा वरणत है। अजितक छन्द शान्तिनाथछन्द सेनानव, नाटककवित्त चार, वानी मिथ्या मत है ॥ २ ॥
फुटकरसवैया बनाये बच गोरखंके, वेद ऑदिभेद । परमारथ वचनिका । उपादान निमित्तकी चिट्ठी तिनही । दोहे, भैरों रामली ओ विलोवल सचनिका || आशावरी । वरवा सु धोश्री सौरंग गौरी, कॉफी ओ हिंडोलना । मलारकी मचनिका । भूपर उद्योत करो भव्यनके हिरमें, विरधौ ! वनारसीविलासकी रचनिका ॥ ३ ॥
दोहा. ये वरणे संक्षेपसों, नाम भेद विरतन्त । इनमें गर्मित भेद बहु, तिनकी कथा अनन्त ॥ १॥ महिमा जिनके बचनकी, कहै कहां लग कोय । ज्यों ज्यों मति विस्तारिये, त्यो त्यो अधिकी होय ॥२॥
इति विपयसूचनिका.
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