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नमः श्रीवीतरागाय.
जनग्रन्थरताकरस्थ-रत्न ७ वां
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बनारसीविलास.
विषय सूचनिक
फवित्त मनहर. * प्रथम सहस्रनाम सिन्दूरप्रकरघाम, बावनीसवैया वेदनिर्णय पचासिका । बेसठशलोका मार्गना करमकी प्रकृतिकल्याणमन्दिर साधुबन्दन सुवासिका || पैड़ी" करमछत्तीसी ।
पीछे ध्यानकी बत्तीसी, अध्यातमै बत्तीसी पचीसी" ज्ञान । - शासिका । शिवकी पंचीसी भवसिन्धुक्की चतुरदशी, अध्यात
माग तिथिपोर्सविलासिका ॥१॥ 1 तेरहकोठिया मेरे मनका सैंप्यारागीत, पंचपद विधान
सुमति देवीशैत है । शारदा बैंड़ाई नवदुरैगा निर्णय नौम, ॐ नौरतन कवित्त सु पूर्जी दोर्नदत है । दशवोले पहेली सुप्रैन्न ।
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