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प्रवचन-सुधा कल्याण का ध्यान है, वह तो घर व्यापारादि की चर्चा को विकाया मानता है, तव वह खेती-बाड़ी की, कूप-वाबडी खुदाने की और बाग-बगीचे लगाने की भी चर्चा को व्यर्थ की पाप बढ़ाने वाली मानता है । अतएव विवेकी पुत्वों को सर्वप्रकार की विकथाओं से बचकर के आत्म-कल्याण करनेवाली, सन्मार्ग पर ले जाने वाली, मिथ्यात्व का खंडन करने वाली, सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्र की बढ़ानेवाली और वैराग्य-वर्धक सुकथाजो को ही मुनना चाहिए । वि० सं० २०२७ कार्तिक शुक्ला १३
जोधपुर