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अमन-गुमा
आने वाले गुराग गे म Fior बाद न माग ! ट उद्देश्य यह है कि जतियो Fir Marar Tit गोले र कहा भयगर गुफाम पाया हो गया। चोर. आर APPL दिया गया है, ऐसा गे ममागार प्रमाrिa from
ग मान्योनन मेरा Arrant forel पर जजिया का मामी , यहा पर में उनका नामोनिया भी नहीं देगा ? माही आर्गपना है ? और यया यही मं? गेला व र उगा नार तो धर्म और देश के लिए मना है और ऐसी मिशन नियों लिए , अपितु देश के लिए भी रानाम ।
__ जन मय एपर है भाइयो, हम गार पासवानी हो, मगर मामीमा दिमाग, परन्तु जैन मनाते हम सब एक है। उन लोगों ने नियों के माम अन्याय करने में कोई मगर नही गयी। परन्तु हमारा समाज नौ नमाना गाने में मस्त है। यह वः शर्म की बात है frआज हम रायपुर में अपने भाया पा अपमान देशकर गुशी मनाते हैं ! हम अपने घर के भीतर ही गत मंद रखे, पर दूसरों के द्वारा माश्रमण किये जाने पर तो हम एका होमर रहना चाहिए और उसका एर होकर मुकारिता करना चाहिए।
मुमलमानो ने हिन्दुओं को काफिर लिया है और मुसलमान बादशाहों ने हजारो-लाखो मूर्तिया तोड़ी है और हजारो ही हिन्मुबो को मौत के घाट उतारा है। तव कोई बहादुरी उनके ऊपर नहीं दिशताई? और काज नियों को अल्पमस्यक देसकर उन पर मवार हो रहे है और धमकी दे रहे हैं कि हम कुम्भ के मेले पर एमा करेंगे-वैसा पारेंगे? उन्हें ज्ञात होना चाहिए कि जैनी अभी मर नही गये है। यदि सारे भारत के समन्स जैनी मिलकर आवाज उठावें तो उन धर्म के ठेकेदारों को पता चले कि हम कितने पानी में हैं ? शकराचार्य जी कहते है कि हमारी पुर्सी सोने की है। भाई, यहा भी ऐसे कई श्री पूज्य जी पड़े हुए हैं, और अनेक श्रीमन्त जैनी ऐसे है कि जिनके घरो मे आप से भी वढकर सोने की कुर्सियां पड़ी हुई है। क्या जैनियो के त्याग को कोई सनातनी तुलना कर सकता है ? क्या सनातनियो में भी कोई मामाशाह और पाड़ाशाह हुआ है, जिसने देश पर सक्ट में समय अपनी करोड़ो की सम्पत्ति समर्पण कर दी हो ! तेरहपंथी भाई तो शान्ति वाले हैं। यदि उन जैसे उदंड होते, तो दिल्ली में गायो के आन्दोलन के समय जैसे फरसे मोर लाठियो से लोगो के माथे फोड़े, वैसे ही वे भी फोड़ देते। परन्तु जैनी तो