SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 275
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ NANNNNNN चोविशी। २३९ श्रीमहावीर जिन स्तवन । मुख टलियां मुख दी। मुज सुख उपनारे, नेट्या लेट्या वीर जिणंदरे । हवे मुज मन मंदिरमां प्रनु आवी वसोरे, पा, पा, परमानद रे ॥ दु ॥ १॥ पीठबंध शहां कीधो समकित वज्रनारे, काढ्यो काढ्यो कचरो ने ब्रांतिरे । इहां अति उंचा सोहे चारित्र चंपुआरे, रुमी रुमी संवर नातिरे ॥ ॥२॥ कर्म विवर गोपी हां मोतीडूंबणारे, फूल फूलश् धीगुण आठरे । बार नावना पंचाली अंचरय करेरे,कोरि कोरि कोरणि काग्रे ॥ कु० ॥३॥ श्हां आवी समता राणीश्युं प्रजु रमोरे, सारी सारी थिरता सेज रे । किम जश् शकश्यो एक वार जो आवशोरे, रंज्या रंज्या हियमानि हेजरे ॥ दु॥४॥ वयण अरज सुणी प्रजु मनमंदिर आवियारे, आ तूग तूग त्रिजुवन जाणरे । श्रीनयविजय विबुध पय सेवक श्म नणेरे, तेणि पाम्या पाम्या कोमि कल्याणरे ॥ दु० ॥५॥ ।। इति श्रीमद्यशोविजयोपाध्याय कृत २ जी चोवीशी संपूर्णा ।। +
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy