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________________ श्रीयशोविजयोपाध्याय कृतचौद बोल्तनी चोवीशी। P श्रीऋषनदेव जिन स्तवन । ( आज सखी संखेसरो, ए देशी ) ऋषनदेव नितु वंदिये, शिवसुखनो दाता। नानि नृपति जेहनो पिता, मरुदेवी माता । नयरी विनीता उपनो, वृषन लांबन सोहें । सोवन्न वन्न सुहामणो, दीपके मन मोहें । हारे दीमे मन मोहें ॥ १॥ धनुष पांचसें जेहनु, कायार्नु मान । चार सहसश्युं व्रत लीये, गुण रयण विधान । लाख चोराशी पूर्वY, आज पाले | अमिय समी दीयें देशना, जग पातिक टाले ॥ हारे ज० ॥२॥ सहस चोराशी मुनिवरा, प्रजुनो परिवार । त्रण लद साध्वी कही, शुन्न मति सुविचार । अष्टापद गिरि चढी, टाली सवि कर्म । चमी गुणगणे चउदमें, पाम्या शिव शर्म ॥ हारे पा० ॥ ३ ॥ गोमुख यद चक्रेश्वरी, प्रनु सेवा सारे । जे प्रजुनी सेवा करे, तस विघन
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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