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चोविशी। श्रीशीतल जिन गीत। शीतल शीतलनाथ सेवो, गर्व गाली रे। नव दावानल नंजवाने, मेघमालीरे ॥ शी० ॥ १ ॥ आश्रव रुंधी एक बुद्धि, आसन वाली रे । ध्यान एहनुं मनमा धरो, लेश तालीरे ॥शी ॥२॥ कामने वाली क्रोधने टाली, रागने राली रे । उदय प्रजुनुं ध्यान धरंतां, नित दीवाली रे ॥ शी० ॥३॥
श्रीश्रेयांस जिन गीत। मूरति जोतां श्रेयांसनी महारूं, मनहुँ मो. धुरे । नावे नेटतां नवना दुखनु, खांपण खोयुरे॥ मू० ॥ १ ॥ नाथजी माहरी नेहनी नजरे, सामुं जोयुरे।महिर लहि माहाराजनी में तो, पाप धोयु रे ॥ मू॥२॥ शुभ समकित रूप शिवमुं, बीज बोयुरे। उदयरत्न प्रजु पामतां नाग्य, अधिक सोयुरे ॥ मू ॥३॥
श्रीवासुपूज्य जिन गीत । जूओ जूओरे जयानंद जोतां, हर्ष थयोरे। सुर गुरु पण पार न पामे, न जाय कटोरे ॥जू ॥ १ ॥ नव अटवीमां नमतां वहु, काल गयोरे।