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श्रीमदुदयरत्नजी कृतश्रीचंप्रनु जिन गीत। चंतप्रजुना मुखनी सोहे, कान्ति सारीरे । कोमि चन्द्रमा नाखुंवारी, हुबलिहारीरे॥चं॥१॥ श्वेत रजतसी ज्योति बिराजे, तननी ताहरीरे । आशक थ ते उपर नमे, आंखमी माहरीरे ॥ चं० ॥ २ ॥ नाव धरी तुजने नेटे जे, नर ने नारीरे । उदयरत्न प्रनु पार उतारे, नवजल तारीरे ॥ चं ॥३॥
श्रीसुविधि जिन गीत। सुविधिसाहिबशुं मन्न माहरूं, थयु मगन्नरे। जिहां जोडं तिहां तुजने देखुं, लागी लगन्नरे ॥ सु० ॥ १॥ मनमामां जिम मोर श्च्छे, गाजें गगन्नरे। चितमामां जिम कोयल चाहे, मास फगन्नरे ॥ सु० ॥२॥ एहवी तुजणुं आसकी मुने, नरं डग नरे । जोर जस फोजनो तुं, एक उगनरे ॥ सु ॥ ३॥ पंच इन्धि रूप चून्नोजे, करीय नगनरे । उदयरत्न प्रनु मिली तेशें, खाय सोगनरे ॥ सु ॥४॥