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स्तवनावली। दर्शण दुर्लन देव ॥ वा ॥ पुन्य विना पावे नहीं ॥ मा ॥ ममिव मंमन सेव ॥ वा ॥२॥ तीरथ महिमा अति घणो ॥ माण ॥ सांजली लाल अपार ॥ वा ॥ जात्री जन आवे घणा ॥ मा० ॥ करवा नवनो पार ॥ वाण ॥३॥ लान लेवा जात्रातणो ॥मा॥ रतनपुरी को संघ ॥वा॥ मांडवगढ प्रति निकले ॥ मा ॥ बहु आंमबर चंग ॥ वा ॥४॥ संघवी मुंगरसी जला ॥ मा ॥ ओसवंस नूपाल ॥ वा ॥ लुणियागोते जाणिये ॥ मा० ॥ करता पर उपगार ।। वाण ॥ ५ ॥ विजयकमल सूरि जिहां ॥ मा० ॥ दस मुनि के परिवार ॥ वा ॥ साधवी श्रावक श्रावीका ॥ मा ॥ छाउ घणो बहु लार ॥ वा ॥ ६ ॥ चनविध संघ शोना घणी ॥ मा० ॥ मुख वरणी नहीं जाय ॥ वा ॥ मोतीजी कटारिया ॥ मा० ॥ आगेवानी थाय ॥ वाण ॥ ७॥ अनुक्रमे आवि बिराजिया ॥ मा० ॥ धारा नगरीके मांय ॥वा॥ चैत्य जुहारी तिहां बहु ॥ मा॥ उलट अंग न माय ॥ वाण ॥
॥ पूव पुन्ये आविया ॥ मा०॥ मांझवपुरके मांय ॥वा॥ श्रीसुपास जिन बेटिया॥ मा॥ जेहनी शीतल गंह ॥ वा ॥ ए ॥ शशी रस निधि