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________________ युत पृष्ठ अध्ययन पद्य अशुद्ध शुद्ध 107 16 ४ युक्त . 110 16 44 नारि के नारी के 111 16 56 प्रणामन प्रणमन 113 17 12 असदाचारी अ सदाचारी 121 19 :0, 52 बालू मे, अनन्त अति दुष्कर बाल मे कि अनन्त, दुष्कर 122 19 64 बेजान वे भान 125 19 96 इस भाति इसी भाति 130 20 59 प्रदक्षिण प्रदक्षिणा 133 22 '4, 9 शिवा नामक,सर्वोषवि शिवा नाम की, सवौषधि, 135 22 36 ने वचन ने यह वचन 137 23 2 लोक प्रकाशन लोक प्रकाशक 138 23 23 रहा कहा 141 23 58.66 दोड. मात्र नही दौड, मात्र भी नही 145 24 12, 18, 22 एषणा अचित, प्रकार को कहो एषण, अचित्त प्रकार कही 146 25 5 पारण कार्य पारणकाय 148 25 14 तुम्हो - तुम्ही _149 25 (),35 बान्धव को, कहा उसने बान्धव गण को, कहा है उसने ___ 25 40, 43 भोतपर, विनय घोष भीतपर, विजयघोप 151 26 1 का। को 4 कहो कही 8.7 समाचारियाँ, गुरु को समाचारी यो, गुरुवर को 11 प्रविक्षण प्रविचक्षण _152 26 14 परिणाम परिमाण 26 15, 23 भाद्र व, मुखवस्त्रिका भाद्रव मुख वस्त्री का 153 26 29, 31 प्रतिलेखना में, खोसरे मे प्रतिलेखन मे, तीसरे मे 155 27 3, 6 टट, कोई टूट, कोई कोई 28 3,10 हैं अधमल, लक्ष्य है झट अधमल, लक्ष्म __160 29 2, 10 रखक, त्याग फिर रखकर, त्याग तथा फिर 161 29 16 क्रोध सयुत ___163 29 50. 52 का. करदेता है शीघ्र का, करदेता शान 150 152 157 162 क्रुध् 29 34 संयुक्त
SR No.010686
Book TitleDashvaikalika Uttaradhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1976
Total Pages237
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_dashvaikalik, & agam_uttaradhyayan
File Size8 MB
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