________________
नेमिनाहचरिउ . [६७८ [६७८]
अह नराहिवु स-पिय अ-नियंतु मा मरिहइ इय समगु सचिव-जणिण सयलेण मंतिवि । कायव्वउं जह कह वि सत्थु हियउ पहुहु त्ति चिंतिवि ॥ भणिउ नमेविणु नरवरह पुरउ - देव पसिऊण । भोयणु कुणसु पसन्न-मणु निय-पिययभ दट्टण ।।
[६७९]
तयणु --- कहि कहि कत्थ कस्थत्थि सा ससि-मुहि विण्हुसिरि इय भणंतु उठेवि नरवरु । वयणेण सचिवहं चडिवि तुरइ गहिय-निय-सार-परियरु ॥ पत्तु तइज्जह लंघणही अति चउत्थ-दिणम्मि । जस्थ खिवाविय विण्हुसिरि चिटइ तत्थ वणम्मि ॥
[६८०]
ता निरंतर पूइ-पव्मारकिमि-संकुल-सयल-तणु काय-सहस-आवड-लोयण । वहु-गिद्ध-सिगाल-सय- सुणय-सहस-परिविहिय-भोयण ॥ विगलिय-दसण कराल-मुह पूइ-गंध-वीभच्छ । दिट्ट नरिंदिण विण्डसिरि विहय-सहस-पडिहत्थ ॥
[६८१]
अह नराहियु फुरिय-वेरगु धिसि जीए निमित्तु मइंसील-रयणु लीलई कलंकिउ । । परिचत्तु कुल-क्कमु वि सुयण-वग्गु सयलु वि धवक्किउ । . अभुवगय पागय-किरिय वित्थारिय अवकित्ति । भुवणि वि अप्पु विगोइयउ तसु एरिस मुत्ति त्ति ॥ ६७८. २. क, मरिहइ य. ८. क. मण.... ६८०. ९. पडिहच्छ. ६८१. ८. क. भुवणु.