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मिनाहचरिउ
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तयणु नासिर- सेन्न भज्जंत
ते दो विनिरिविखरण मा भायह नियहखणु पण्णत्तहि विज्जह वसिण खग्ग खणखण-रव-खुहिय
[६५५] निसिय-करयल-कलिय-करवाल
लय- निद्दय- निद्दलिय
धणु-जंत विमुक्क-सरछुरियधाय पसरिय-रुहिर मुग्गर-पहर - विणिद्दलिय -
कुमर चरिण अखलंत - पसरिण । दलिस दप्पु इमहत्ति भणिरिण || कय-चउरंग-वलेण ॥ पडिवक्खिय खयरेण |
सत्तु- कुंभि - कुंभयड-लक्खिण || निहय-भडिण रण-मग्ग-दक्खिण ॥ छड अरुणिय-गयणेण । उत्तिमंग- सुहडेण ||
[६५६]
सत्ति-भल्लय- सेल्ल-वावल्ल
नाराय-मुसुंढि -गय
निहणंतिण करि-तुरयउवसाउि खण-मेत्तिण वि असणिवेग-खयरिंदु | तयणु सु परिविष्फुरिय- कुरु- वंस - गयण-रयणिंदु ||
सुर- नहयर-तरुणियणस-परिक्कम- सुर-असुरभुवण-मंतर - वित्थरिय - पत्तु तर्हि चिय धवलहरि
वज्ज-चक्क-कत्तरिय-कुंतिहिं |
सुहउ-सत्थ बहु-विह- विभत्तिहिं ||
[६५७]
खयर - वियरिय रहवरारूड
मुक्क पंचविह-कुसुम बुद्धिउ । खयर-सुहड-मण-जणिय- तुट्टिउ || निरुवम-कित्ति-कलावु ।
पसरिय-महुरालावु ॥
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