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नेमिनाहचरिउ ।
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ईसि विहसिर किंचि नमिरंग चलणंगुलि-लिहिय-महि पाणि-पउम संवरिय-अंबर। चलियाहर-पल्लविय फुरिय-नयण-आणंद-जल-भर ॥ खलिरक्खर-गग्गर-गिरिहिं किंचि वियासिय-अत्थ । मुद्ध पयंपइ सिर-उवरि परिसज्जिय-नेवस्थ ॥
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सुहय संपइ पसिय मह उवरि एत्तो च्चिय चुय-वणह नाइदूर-देसोवसंठिउ । सुर-किन्नर-नर-महिय- मलय-निलय-देउल-गरिहिउ ॥ पिय-संगम-अहिलास इय नामिण पत्त-पसिद्धि । चिहइ विज्जाहर-नयरु पसरिय-गरुय-समिद्धि
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तहिं कियंतु वि कालु आगंतु वीसमिउण निय-तणुहु अवहरेह गरुयरु परिस्समुः । ता सयमवि होइसइ तुम्ह एय-वृत्तंत-अवगमु ॥ . अह तासि चिय कामिणिहिं . कंचुगि-दंसिय-मग्गु । निव-धवलहरि कुमरु गयउ अइ-विम्हिय-सव्वंगु ॥
तयणु तप्पुर-सामि-नरवरिण सिरि-भाणुवेगाभिहिण उठ्ठिऊण अभिमुह-कयायरु । सीहासणि निय-करिण ठविउ कुमरु गुण-रयण-सायरु ॥ अह सिरि कय-करयंजलिण गुरु पडिवत्ति करेवि । ' भणिउ-कुणसु संतोसु मह धूय अट्ठ परिणेवि ॥ .
५९८. ६. क. गिरिहि, ख. गिरहिं. ६००. ६. क. कामिणिहि. .. ६०१. ८. कः कुण.