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नेमिनाहचरिउ
[५४२] Tor - गिरिवर- गहण - पजलंतदावाणल-संगमिण जणिय- भुवण-संतावु निदंदुरु । परिसोसिय-महि-वलय- वावि कूब सरि-सरु मुदुद्धरु ॥
कय-तरु-पत्तस्साडु ।
वायंत झंझा-पवणु कसु कसु न हवइ डाहयरु गिम्ह-यालि जिम्ब भाइ ॥
[५४३]
विगय- पत्तहिं दलिय - कमलाहिं
परिवियलिय- पाणियहि रवि-कुनिविण खर- करिहिं
तह खर- पवशुद्धय-रइण कुन संताविउ महि-वलइ
दूर- तसिय-सिरि-नलिणि-तरुणि हि । निहय-कंति-सयवत्त वयणिहिं ॥ उद्धधुलिय- दिसेण । गिम्हिण काउरिसेण ॥
[५४४ ] सजल-जलह-धार-सर- सेणि
घण- गज्जि - हुंकार खु महु-लुद्ध-धाविर भमर
निय - पिय-सहिय-सिइंडि-कुल- परितड्ड विय-कलावु ।
पाउस - पामरु विरहियह
कसु न कुणइ संता ॥
विज्जु - पुंज - कन्निय-भयंकरु | कुल - कथंव- केसर - विसप्पिरु ||
[५४५ ]
सुरइ धणुहु गयण-यलि
नियत्रि कलहंस माणसि गमिर सिंनंत चायग महुरु केयर - सिहरि - सिलिंग-दुमकसु पाउसि नहि विरहियह
सरिय दो वि कूलई निवाडिर । जल-प्रवाह महियल विहाजिर ॥ कुडय - विवि-कुसुमाई | फ़हई हियडुल्लाई ||
५४२. २. क. दावानल. ७ पत्तास्साड. ५४३. १. क. कमलाई ७. उद्धुंधलिय. ५४५, २. क. माणस. ५. पवाहु.
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