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नेमिनाहचरिउ ।
५२६] चोल-सिंहल-निवइ-नय-चलणु चेदीस-चिंता-रयणु जिय-कलिंग-बंगंग-नायगु । सिरि-लाड-नराहिवइ- विहिय-सेवु नय-इ-दायगु ॥ भोय-नराहिव-अंगरुहु कुमरह सेव-पवन्नु । अत्थि पहुत्तउ धवलहरि सेस-निवइ-मुह-वन्नु ॥*
[५२७] इय सुणेविणु कुमरु नीहरइ कह कह वि कयलीहरह जाव ताव सु जि भोय-नंदणु । संपत्तउ संनिहिहिं अह नमेवि तमु सुवण-मंडणु ॥ निज्जिय-रवि-रह-तुरय-रउ सुवणक्कमणि सुलोलु । निरुवम-लक्खणु पयड-अभिहाणु जलहिकल्लोलु ।।
[५२८] ___ जो य अंगुल असिइ उस्सेहि परिणाहिण नवनवइ आयईए सउ अह-उत्तरु । 'चउर-गुल पुणु सवण जन्नु-खुरिय उवलद्ध-वित्थरु ॥ . बत्तीसूसिय-सिर-पवरु वीसइ-बाहुय-दंडु । सोलस-अंगुल-जंघ-जुउ गूढय-पट्ठि-वरंडु ।।
[५२९] मडह-तलिणय-सवणु चउरंसु वित्थिण्ण-निडालयलु कुडिल-कढिण-निम्मंस-बयणउ । थिर-पत्तल-नयणु निरु फुरुफुरंत-विलसंत-घोणउ ॥ सुघडिय-सम-मणिवंधु तणु- उयरु सु-दीहर-जंधु ।
मुललिय-चमकिय-पुलिय-वर- वग्गिय-गइ-निविग्घु ॥ ____ * At the end of st. 526 क. ख. read ग्रंथाग्रं १५००. ५२८. ६. क. वत्तीभूसियसिरयवरु. ५२९. १. क. समणु.