________________
नेमिनाहचरिउ । - [४९४]
अह कुमारह वाढ-संजमियमण-वाया-कायह वि तरुणि-रयण-कय-पाणि-फरिसिण । निय-मित्तह वयणिण वि चहल-पुलय-संजणिय-हरिसिण ॥ फुरिय-अहरु वियसिय-बयणु पयडिय-नयण-वियासु । दसण-किरण-धवलिय-भुवणु लडहु पयट्टउ हासु ।।
[४९५] .
तयणु कुमरि वि नणु किमेयं ति चितंत गुरु-सज्झसिण कंपमाण-कर-अहर-चरणिय । जा चिट्ठइ कंचि खणु दुगुण-सोह-विलसंत-वयणिय ॥ ता उद्धीकय-करयलिण वंदिण अवसर-पत्तु । पढिउ कुमारह पुरउ --- पहु निमुणउ अविचल-चित्तु ॥ .
[४९६]*
कोल संपइ सरहिं पल्ललह संता निरसहिं करिहिं जूह नियय-कर-सीयरोहिहिं । .. रोमंथ-मंथर-मुहिहिं आलबालि ठिउ हरिण-जूहिहिं । तावुवसम-कइ पिय-बयण- चंदणु सरसु सुयंग। .. दु-वि सेवहिं तह पहिय तरु- छाय लिति तवियंग ॥
.
.
[४९७] __ अह मुणेविणु मत्थयाख्दु दिणइंदु सही-यणिण सहिय कुमरि निय-देह-मेत्तिण। कहकहमवि निय-घरह. समुहु चलिय सुन्नेण चित्तिण ॥ कुमरु वि कर-उत्तिष्ण-चिर-: पाविय-रज्ज-सिरि व्य । ठिउ निच्चल-मण-तणु-त्रयणु खणु तत्थ वि सिहरि व्व ॥
As the end portion of the palm leaf is lost, 496-8-9 to 498. 4. is missing in क.