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नेमिनाहचरिउ ।
[४८६ . [४८६] तयणु पभणिउ पुरउ स-सहीण नणु एस नवल्लु कु-वि अह भणेइ क-वि ईसि विहसिउ । धुवु न हवइ बल्लु एहु महिहि तिलउ मई तुह पयासिउ । इयर पयंपई- हलि सहिउ मह वयणु वि निमुणेह । एस असोगु जु पिय-सहिहिं सच्चविओ त्ति मुणेह ॥
[४८७]
अवर पुणु परिमुणिय-सहि-हियय भणियव्य-वियक्खणिय भणइ – तुभि किंचि वि न-याणहं । जं अम्हहं पिय-सहिहिं . भत्ति-भरिण पयडिज्जमाणहं ॥ पूया-विहिहि पडिच्छ-कए पुलयंचिय-सव्वंगु । सक्खं चिय पयडीहुयउ चिट्ठइ एहु अणंगु ॥
[४८८] इय खणद्धिण सघण-घणसारकत्थूरिय-अगुरु-सिरिखंड-पंक-फल-कुसुम-दामिहि। .. निय-हत्थिहिं पूय-विहि विसम-सरह परिमलहिरामिहि ॥ . पिय-सहि किज्जउ भत्ति-भरु जेण मयणु भयवंतु । . हियइच्छिय-वर-वियरणिण तुरिउ हवइ फलवंतु ॥
[४८९]
सयल अ-वितहु एहु इय मुणिर वियसंत-वयणंचुरुह मयण-पूय-सामग्गि घेप्पिणु । सा वालिय गंतु तहिं कमल-माल निय-करि धरिप्पिणु ॥ गल-कंदलि आरोविउण विम्हिय-मण-पसरस्सु । हरि-चंदणिण विलिंपिउण वच्छ-स्थल कुमरस्सु ॥ ४८६ ३. क. विहंसिठ. ४८८. ३. दामिहिं. ४८९. ५. निय करिप्पिणु.