________________
4FASM
नामनाहचार
नैमिनाहचरित
[४६२]
अह करेविणु विविह-पडिवत्ति निवु सिविण-विसारयहं कहइ देवि-दिहाई सिविणई। इयरे वि विणिच्छिउण नियय-सिविण-सस्थत्थु पभणई ॥ वाहत्तरि कहियाई इह सिविणई सामन्नेण । तत्थ य तीस महा-सिमिण पवरई भणिय जणेण ।।
[४६३] तह वि चउद्दह सिविण सु-पसस्थ जिणनायग-चक्कबइ- जम्म-हेउ जायंति धन्न । नर-नायग-भारियहं भावि-सुगइ-सुक्खहं सउण्णहं ॥ तेसि वि मज्झह सत्त चउ सिविणइं हरि-मुसलीण । जम्मु कहहिं निव-भारियहं मुह-कमलम्मि निलीण ॥ ...
[४६४]
सेस नरवइ-सचिव-सामंतसत्थाह-सेटि-प्पमुह . पुरिस-रयण-जणणिउ विउज्झहिं ।। एक्केक्कु सिविणउं णियवि पुव्व-उत्त-सिविणाण मज्झहिं ॥ ता सामिय भुवणभिहिउ नंदणु को-वि विसिट्छ । होसइ सिविण-समूहु एहु जं तुह देविहिं दिछु ॥
[४६६] । ___ अह नराहिवु सम्मु एयं ति तं सिविण-विसारयह सयल क्यणु अभुवगमेविणु । पडिवत्ति अणेग-विह अह निउत्त-पुरिसिहिं करेविण ॥ निय-निय-ठाणि अणुण्णवइ सिविण-विउस नीसेस । विउमुवइट्ट पियह कहइ
सिविणहं कह स-विसेस ॥ . १६४. ८-९. क. Some letters are blurred. ४६५, ५. क. पुरिसिहि.