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.. नैमिनाहचरिउ
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कुंभि-केसरि-वसह-अहिसेय. ससि-दिणयर-झय-कलस- दाम-पउमसर-जलहि-सुरघर। रयणुच्चय-जलण मुहि पविसमाण पेच्छेइ मणहर ॥ तयणंतरु संभंत-मुह - उद्वेविणु सहस त्ति । साहइ सिविणई विणय-कय- कर-संपुड निवहं ति ॥
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[४५५] __ तयणु पुण्णिम-सरय-रयणियरउदयम्मि रयणायरु व जलय-माल-दंसणि सिहंडि व । कमलायरु दिणयरि व रायहंस-कुलु कमल-संडि व ॥ सहयारु व्य वसंत-महि पत्तइ दुगुणिय-सोहु । कह-वि न माइ न ठाइ निवु सिविणिहिं कय-सिरि-बोहु ॥
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तो पयंपइ पुहइ-हरिणंकु आणंद-गग्गर-गिरहिं पुरउ नियय-सहदेवि-दइयह ।। जह - होहिइ देवि तुह तणय-रयणु सुह-जणणु ति-जयह ॥ तियसासुर-नर-नमिय-पय- पउमु जिणाहिवइ व्व। .. नव-निहि-चउदह-वर-रयण- सामिउ चक्कवइ व्य ॥ .
[४५७] : .
अह सुहा-रस-कुंड-वुड्ड व्वउबलद्ध-चिंतामणि व पत्त-चक्कवइ-रज्ज-रिद्धि व ।. . गिह-उग्गय-सुरतरु व अइर-जाय-वर-मंत-सिद्धि व ॥ इरिस-वियासिय-मुह-कमल सिर-विरइय-कर-कोस । हवउ एहु इय पुणु वि पुणु देवि वि भणइ स-तोस ॥ १५६. २. गग्गेर. ४५७. १. क. संवुड व्व.