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________________ प्रतनी लेखनपद्धति घणी विचित्र छे. अनेक अक्षरोना आकारो एकबीजा साथे सहेजे गूंचवाई जाय तेवा छे. , य् अने म्, म अने स्, च् अने वू, घ भने थ्, ट् अने ठ, इ अने द, त् भने न् च्छ अने स्थ, ह भने छाड्, ड्ड् वगैरेस हेजे एकबीजाने बदले वांची शकाय तेवा छे. वळी १९१५नी आसपास अप शना व्याकरण- अने छंदरचनानुं ज्ञान पण अविकसित हतुं. आवी विकट परिस्थितिमां याकोबीमे 'सनत्कुमारचरित' पर करेलं सफळ कार्य एक ज्वलन्त सिद्धि गणाय तेम छे. याकोवीमे तेमना ए संपादनमा ४४३थी ७८५ सुधीना छंदोनो पाठ छन्ददृष्टिले चकासीने रोमन लिपिमा आप्यो छे. तेने अंते मूळ प्रतना अशुद्ध पाठ आप्या छे. ते पछी जर्मन भाषामा अनुवाद (अर्थघटनने लगती चर्चानोंधो साथे) आप्यो छे. ते पछी संस्कृतमा अर्थ, देश्य सामग्री माटेना आधार अने व्याकरणीय स्वरूपना निर्देश साथे शब्दकोश आप्यो छे. परिशिष्टमां 'नेमिनाहचरिय'ना आद १० छंदो अने अंत्य २८ छंदो जर्मन अनुवाद साथे तथा आ बन्ने खंडोना विशिष्ट शब्दोना कोश साथे आप्या छे. छेवटे शुद्धिवृद्धिनुं पत्रक मूक्युं छे. भूमिकामां (१) हरिभद्रसूरि अने तेना आश्रयदाता पृथ्वीपाल विशेनी माहिती, (२) सनत्कुमारचरित्रने लगती संक्षिप्त परंपरा, (३). हरिभद्रनी रचनानो विस्तृत सार, (४) अपभ्रंश भाषाना सामान्य स्वरूप विशे, 'भविसत्तकह'नो. प्रस्तावनामां करेली चर्चामांना केटलाक प्रश्नोनी पुनःचर्चा, (५) हस्तप्रतनो परिचय अने पाठ प्रस्तुत करवानी पद्धति, (६) आटली प्रस्तावनानी सूचि, (७) 'सनत्कुमारचरित'ने आधारे तैयार करेलु विस्तृत अपभ्रंश व्याकरण, (८) 'सनत्कुमारचरित'नी छंदोरचना (पंचपदीनां एकी तथा वेकी चरणोना तथा दोहानां चरणोना स्वरूपविश्लेषण अने केटलाक गणोना स्वरूपने लगती अंकशास्त्रीय तारवणी साथे)एटली सामग्री आपी छे. मुनि जिनविजयजीए, अपभ्रंश भाषा अने साहित्यना अध्ययनना आध अने अग्रणी प्रणेता तरीके याकोबीनी योग्य रीते ज उष्माभरी स्तुति करी छे [जुओ, 'पउमसिरिचरिउ'(१९४८)मांनुं तेमनुं 'किंचित् प्रास्ताविक', पृ० ६६थी ६१२] . .... सनत्कुमारनुं चरित्र ... साधारण रीते सनत्कुमारचरित ए नेमिनाथना परंपरागत चरितना एक भाग तरीके नथी होतुं. हरिभद्रे ज तेने नेमिनाथना वृत्तांतमा एक आडकथा लेखे मूक्युं . छे. ते ज प्रमाणे तेणे पोताना 'नेमिनाहचरिय'मां महावीरचरितने पण एक आड
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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