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________________ बे लाख श्लोक जेटलं अटकळी शकाय छे. आ उपरथी प्राकृत-अपभ्रंश साहित्य रचवानी तेमनी असाधारण शतिनो ख्याल आवशे. पूर्वेनुं संपादन - हरिभद्रनुं आ अपभ्रंश सनत्कुमारचरित्र आ पहेला एक वार प्रकाशित थई चूक्युं छे, अने ते प्रकाशननुं ऐतिहासिक महत्त्व छे. ई. स. १९१४ पहेलां अपभ्रंश भाषाना साहित्यनी कोई सळंग रचनाथी अर्वाचीन विद्वानो अजाण हता. एवी कोई रचना हजी तेमने उपलब्ध थई न हती. भारतीय विद्याना प्रकांड जर्मन पंडित हेर्मान याकोबीने तेमना १९१३-१९१४ना भारतप्रवास दरमियान अमदावादमांथी धनपालनी 'भविस्सत्त-कह'नी अने राजकोटमांथी हरिभद्रना 'नेमिनाहचरिय'नी एम बे अपभ्रंश काव्योनी हस्तप्रत जोवा मळी. ए अपभ्रंश साहित्यनी मूल्यवान कृतिमओ जोतां ए प्रकारचें एक अलग साहित्य जळवायु होवानी तेमने प्रतीति थई अने प्राप्त कृतिओना संपादन-प्रकाशननी पाछळ तेओ लागी गया. तेमना पुरुषार्थने परिणामे आपणने अपभ्रंश भाषा, साहित्य इत्यादि विशेना विस्तृत शोधपूर्ण निबंध साथे, तथा जर्मनमां भाषांतर अने सार्थ शब्दकोश साथे संपादन करेली 'भविस्सत्तकह'(१९१८)नी आवृत्ति मळी. ते पछी ते ज पद्धतिए तेमणे 'नेमिनाहचरिय'मांथी. 'सणंकुमारचरिय'नो अंश संपादित करीने अभ्यासपूर्ण प्रस्तावना, अनुवाद अने शब्दकोश सहित जर्मनीमां १९२०मां तैयार कर्यो भने पुस्तकरूपे ते १९२१मा प्रकाशित थयो, आथी अपभ्रंश भाषा अने साहित्यना अध्ययन भने संपादन-प्रकाशनना श्रीगणेश मंडाया. याकोबीए आ विषयने लगती' अनेक समस्याओ स्पष्ट करी पीः तेमाथी केटलोकनो तेमणे उकेल आप्यो. तो केटलीकना उकेल माटेनी दिशा चींधी ने अध्ययननी दृष्टि अने पद्धति अंगे तेमणे राजमार्ग तैयार करी आप्यो. . तेमनुं 'सणंकुमारचरिय' तेमने प्राप्त (अने प्रस्तुत संपादन माटे पण उपयोगमा लीधेली) कागळनी एकमात्र प्रतने आधारे तैयार करेलं छे. * ए * Sanatkumāracaritam : ein Abschnitt aus Haribhadras Neminahacaritam (सनत्कुमारचरितम् : हरिभद्रना नेमिनाथचरितम्नो एक खण्ड)-: अपभ्रंशमां रचेली एक जैन कथा : सम्पादक, हेर्मान याकोबी (प्रस्तुत कयुः ५मी जून १९२०, बायरनी विज्ञान अकादेमोनो तत्त्वज्ञान-साहित्य-अध्ययन वर्ग, ३१मो प्रन्य, बीजो शोधनिबन्ध, प्रकाशित, म्युनिक १९२१.
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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