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अह तहाविह गुरुहुं पय-मूलि एहु गंतु चारित सेवइ । कुमर-वरिण पुणु अज्जु केस्वर || संलत्तउ एगति ।
विज्जाहर· चक्कवइ इय गच्छ कालु कु-वि अम्हहं पुरउ समग्गहं वि
जह कीलण कर एह लहु मानस - सर - सामंति ||
[७११]
ता सुनंदा - पमुह दइया हिं
सारेण य परियरिण विहिय-सेवु इह अज्जउत्तर ।
जावागउ ताव नर
एत्थंतरि कयलीहरe उठेविणु नीहरइ कुरु
रयण एत्थ तं पहु पहुत्तउ || वियसिय-मुंह- अरविंदु | वंस गयण- स्यणिंदु ||
[७१२]
तयणु दो विहु विहिय-तक्काल
पाउग्ग-विहाण लहु पुवज्जिय-तियस- गिरिभुत्रण अंतर- वित्थरिय सिरि-वेयइट - महागिरिहिं गया ति सरल-सहाव ॥
जणिय-सयण - आणंद-चित्थर | तुंग-पुण्ण-पव्भार- सुंदर || निम्मल-कित्ति-कलाव |
[७१३]
ता विसेसिण खबर - सेणीसु
दो पि सव्वायरिण पणमंत नहयरहं परिणेविण नाणा - विहउ अह अणि वियसिय-मुहिउ
निrय आण अरिण पयारिवि । उचिउ रज्ज-अहिउ कारिवि ॥ विज्जाहर - कुमरीउ | प्पिणु अंतेरी ||
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