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________________ ७०९ ] [७०६] भमिवि चउ गइ भव- अरण्णम्मि बहु-भय-परिष्फुरिय विवंत पर सि तारिस - निय-कम्मह वसिण हुउ वेयढ महागिरिहिं सणतुकुमारचरि जम्म-मरण - सहसिहिं कयत्थिउ । दास-पेस अधणत्त-दुत्थिउ || अभिहाणिण असियक्खु । एरावण - जिउ जवखु ॥ [७०७] इय समासिण कहिवि वृत्तंतु तु संतिउ मुणि बसहु तुह अंतर-वास कइ मह वयणिण माणस सरह सविह- देसि गंतूण | ठिउ पिय-संगम-नामु पुरु सुर-पुर-समु रइऊण ॥ अच्चिमालि अन्नत्थ विहरिउ । भाणुवेगु पुणु गहिवि कुमरिउ || [७०८] तयणु तइयहं तह तुमं तेण परिणाविउ वित्थरिण ता भुंजइ विसय- सुहु चंडवेग खयरिंदु पुणु सणतुकुमारह देइ लहु ७०६. ४. परिवसिठ, परिणाविउ अट्ठ नियपत्थाविण सेव हउं तई मिल्लेविणु एक्कलउ गउता पहु मरिसिज्ज तुहुं दुहिय किं तु तुह पाय जुयलह । करिसु धरिवि इ मज्झि हियग्रह || भाणुवेगु निय-ठाणि । इहि अवराह-पयाणि ॥ [ ७०९ ] चंडवेगिण भणिवि इय कुमरु कन्नयाहं तहं सउ अणूणउं । गरुय - खयर - रज्जिण सम्वाणरं स- कुटुंब विनिय-रिद्धि । सारय-ससि - सम- बुद्धि ॥
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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