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महर्षि पाणिनि से पूर्व भावी व्याकरण प्रवक्ता आचार्य
प्रस्तुत अध्ययन में हम इस तथ्य की ओर ध्यानाकर्षण कर रहे हैं जिन आचार्यों का उल्लेख पाणिनीयाष्टक में नहीं मिलता है। इनमें सर्वप्रथम महेश्वर । पिता हैं जिनका समय निर्धारण ।।500 वि०पू० किया गया है। महाभारत के शान्तिपर्व के शिव सहस्त्रनाम में महेश्वर शिव को वेदाङ्ग अर्थात् षडग का प्रवक्ता कहा गया है । 'वेदातण्डड्गान्युदधत्य ।'
प्रस्तुत श्लोक में विद्यमान चौदह प्रत्पाहारसूत्रों को माहेश्वर सूत्र के नाम से जाना जाता है ।
.येनाक्षरतमाम्नायमधिगम्यमहेश्वरात् । कृत्स्नं व्याकरणं प्रोक्तं तस्मै पाणिनये नमः ।।
इसका उल्लेख पाणिनीय शिक्षा की समाप्ति पर मिलता है ।
द्वितीयाचार्य बृहस्पति का उधपि पूर्व अध्ययन में वृहस्पति के परिचय आदि के विषय में यथासम्म उल्लेख किया जा चुका है फिर भी महाभाष्य के पूर्व पृष्ठ 6। में जो उद्धरण दिया गया है उससे यह स्पष्ट होता है कि बृहस्पति ने शब्दों का प्रतिपद पाठ के द्वारा प्रवचन किया था । न्यायम जरी में इस बात की पुष्टि नम्
1. महाभाष्य बान्तिपर्व 284/92.