________________
बदापि गजा निजकोषम मनः परीक्ष्य नादि विनिजमतः निबद्धवरेण च तेन भोगिनां वरेण दष्टः महमव कोपिना ।११।
- प्रम एक रोज राजा मिामेन प्रपने बजानेमें रस्म वगरहको सम्भाम बारोहोरा पाने में जिमका इसके माय पूर्व जम्मका र पा उम कुपित हये मघोष गोव नागने एकाएक पाकर इसे काट लिया। मिपग्नग अभ्य विदिन वे ममानाः कोऽत्र जनः समो भवेत हनीन्द्रया किन्तु न कोपि भभुत्रः श्रितोऽपहागय ममथनां रुजः। १२
वर्ग इमको निवि नोरोग करने के लिो घट्न मे विष बंग बुलवाये गये कि देख इनमें से कौनमा पाटमो इमे स्वस्थ कर मकता है किन्तु उम राजा के शरीर में होने वाले विषके असर को दूर करने के लिये उनमें से कोई भी गम नहोगा। ममन्य मन्त्रोधिनपावके किल प्रवेष्टमन्यः पगिनिनोऽम्बिलः पृहावर्गः समनीय भागिनं दामुकंदष्टतमोपयोगिनं ।१३।
मर्ग-हमपर फिर एक मन्त्रवादीने मन्त्र के द्वारा अग्नि पार की उमग्निमें में भी उसे बोटे यिचारवाने एक मपं को छोड़कर पोर मा म गियर जीवित निकल गये। निवेदिता गामहिनाऽपि नोविमिहीरधागहिरमोवशादिपः । विषय वही नमरणदेहिनामबाप कतेऽत्र पुनवनाहिनान ।१४।
अपंगारिने जब उमको उमका विष वापिस बचने के लिये कहा तो गेष को वजह से विषको तो उमने वापिस नहीं लिया