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Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements
जैन विद्वानों के द्वारा पढ़े गये शोध-खोजपूर्ण लेखों में इस महान साहित्य मनीषी को उजागर करने की चेष्टा की गई है। ऐसे महान व्यक्तित्व के प्रति जो श्रावक होता हुआ भी सन्त था । समाजोत्थान के साथ साहित्य विशेषकर जैन वाड्मय के प्रति समाज की श्रद्धा की अभिव्यक्ति के लिए उनके साहित्य का समग्र संकलन हो, इसके साथ उनको 'स्मृतिग्रन्थ' से समादृत किया जाना चाहिए।
डॉ. शोभालाल जैन श्री दि. जैन आचार्य संस्कृत महाविद्यालय, जयपुर-3
मुख्तार साहब ने अपने जीवन काल में जैन साहित्य की जो सेवा की है वह अमूल्य है। मुख्तार साहब एक उच्च चिंतक मनीषी थे। उनका जीवन सादा और सरल था । आपने अनेक रचनाओं का सृजन किया। सम्पादन और अनुवाद की तो आप कसौटी थे। डॉ. दरवारी लाल कोठिया और पं. परमानंद जी शास्त्री का व्यक्तित्व कृत्तित्व आपके सान्निध्य में निखरा है ।
ऐसे मनीषी स्वस्त्र संत पर संगोष्ठी होना अति अनिवार्य था । दूरदृष्टि सराकोद्धारक रा. सं. उपाध्याय ज्ञानसागर जी की दृष्टि इधर पड़ी और उन्होंने ऐसे सरस्वती पुत्र के जीवनवृत्त पर संगोष्ठी करने की प्रेरणा विद्वत्वर्ग और समाज को दी। अस्तु यह कार्य डॉ. शीतलचन्द्र जी को सौंपा गया। उक्त संगोष्ठी का संयोजन डॉ शीतलचन्द्र जी ने बड़ी सूझबूझ के साथ किया है। उनके प्रयत्नों से यह कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
पं. विमल कुमार जैन, शास्त्री 1137 साघों का रास्ता, किशनपोल बाजार, जयपुर - 3
परम पूज्य उपाध्याय १०८ ज्ञानसागर जी महाराज का व्यक्तित्व एक अनोखा व्यक्तित्व है। वे त्याग तपस्या की साक्षात् प्रतिमूर्ति हैं। ज्ञान के प्रति तो उन्हें अगाध प्रेम हैं। सचमुच वे ज्ञान के समुद्र हैं। जिस प्रकार सागर अपने में अन्य नदियों के जल को समाहित कर प्रसन्न होता है। उसी प्रकार आप विद्वानों के ज्ञानको प्राप्तकर अति आनन्दित होते हैं। विद्वानों के प्रति आपका विशेष अनुराग है।