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176 Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugvoer" Personality and Achievements लोग कभी स्वाधीन हो सकेंगे? अथवा अपना राज्य वापिस प्राप्त कर सकेंगे? उन लोगों का कभी भी भला नहीं हो सकता है, जो लोग दूसरों का बुरा विचारते हैं। अथवा अपना राज्य वापिस प्राप्तकर सकेंगे? उन लोगों का कभी भी भला नहीं हो सकता है, जो लोग पाप से भयभीत नहीं हैं, वे ही हमेशा ऐसे दया-विहीन कार्य करते हैं।
जाल में फंसा हुआ 'मीन' चिन्तन करता है कि ऐसे निन्दनीय और विवेकहीन कार्य करने वाले मनुष्य के सन्दर्भ में क्या करें? कुछ कहा नहीं जाता है। इस समय प्राण कण्ठ में हैं, बोल नहीं सकता हूँ। थोड़ी देर में छुरी चलेगी और मैं मर जाऊँगा, किन्तु इससे यह बात निश्चित हो गई कि जो लोग स्वार्थ में आकण्ठ डूबे हैं उनके मन में दीन-हीन प्राणियों के प्रति कभी भी दया जाग्रत नहीं हो सकती है। इस प्रकार दीन-हीन मीन की दिव्य भाषा को सुनकर मैं अन्याय का विरोध न कर सकने वाली अपनी शक्ति को धिक्कारने लगा और मन ही मन शोकग्रस्त हो यों चिन्तन करने लगा कि किस प्रकार इस मीन को बन्धन-मुक्त कर दूं। किन्तु तभी मीन ने अन्तिम सांस ली और मैं खड़ा देखता रहा। बन्धन ग्रस्त मीन पर हुए इस अत्याचार को देखकर आकाश में एक ध्वनि गूंज गई कि बलवान व्यक्ति द्वारा निर्बल रक्षा करना रूप जो मानव धर्म है वह अब ससार में नहीं रहा।
इस प्रकार मुख्तार सा. अपनी 'मीन-संवाद' नामक इस कविता के माध्यम से यह संदेश देना चाहते हैं कि मनुष्य को बलवान् होकर दीन-हीन व्यक्ति पर अत्याचार नहीं करना चाहिये। क्योंकि किसी भी प्राणी को न सताना ही मानव-धर्म है।
सन्दर्भ १ पृथुरोमा झषो मत्स्यो मीनो वैसारिणोडण्डजः। विसारः शकली चाथ गण्डकः शकुलार्भकः॥
- अमरकोष 1.10.17 २. अमरकोष 1 125