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________________ बडा दानी कौन? ४०५ हथियार हिमाके उपकरण होनेसे उनका दान करनेवाला हिसामे-परपीडामे--सहायक तथा उसका अनुमोदक होता है और जिसे दान दिया जाता है उसे उनके कारण हिसामे प्रोत्साहन मिलता है और वे प्राय दूसरोके घातमे ही काम पाते हैं। इस तरह दाता और पात्र दानाके हा लिये वे अात्महितका कोई साधन न होकर आत्महनन एप पतनके ही कारण बनते है, मोर इमलिये हथियारोका दान पारमायिक दृप्टिसे कोई महान् दान नहीं होता-पाक. मणात्मक-युद्धके सैनकोके लिये तो वह और भो सदोष ठहरता है, तब उसका दानी बडा दानी कसे हो सकता है ? घायल सैनिकों को महम-पट्टाके लिये स्वेच्छासे दवादारूका दान देनेवाला पिछ ने दो दानिया-मासदानी और हथियारदानीसे बडा जरूर है, परन्तु वह बगालके घोर अफालसे पीडित प्राणियोको रक्षार्थ अन्नका दान करनेवालम बडा नहीं है। क्योकि अन्यक राष्ट्र पर अाक्रमण करने के लिये उद्यत मौनक दुमराको घायल करने और स्वय घायल होनेकी जिम्मेदाराको खुद अपने सिर पर उठाते है, अपराध करते हुए घायल हात हे आर अच्छे होने पर आगे भा अपराध करनेको-अनेक निरपराध प्राणियो तकका घात करनेको इच्छा रखत है, इमालये व उतने दयाके पात्र नही जितने कि बगालके उक्त अकाल-पोडित दयाक पात्र है, जिनका अकालक बुलानेमे कोई हाथ नहो, कोई अपराध नहीं पार जिन पर अकाल लादा गया है अथवा किसी जिम्मेदार बड़े अधिकारोकी भारी लापर्वाही और गफलतसे लद गया है । ऐमो स्थिातमे मुझे तो बगालके अकाल-पीडितोको दो लाख रुपये का अन्न दान करनेवाला हो चारोमे बडा दाना मालूम होता है। __ अध्यापक-जिस दृष्टिको लेकर तुमने उक्त अन्नदानीको बडा दानी बतलाया है वह एक प्रकारसे ठोक है, परन्तु इस विषयमें कई विकल्प उत्पन्न होते अथवा सवाल पैदा होते है, उनमेंमे यहाँ पर
SR No.010664
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages485
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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