SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 418
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बडा दानी कौन ? ४०१ दान करनेवाला ही बडा दानी है, दूसरी किसी चीज का दान करनेवाला बडा दानी नहीं। विद्यार्थी-मेरा यह मतलब नही नि दूसरी किसी चीज़ का दान करनेवाला बडा दानी नी, यदि उस दूसरी चीजकी-जायदाद मकान वगरहकी-मालियत उतने रुपयो जितनी है तो उसका दान करनेवाला भी उसी कोटिदा बडा दानी है। अध्यापक-जिस चीजका मूल्य रुपयोमे न ऑफा जा सके उसके विषयमे तुम क्या कहोगे ? विद्यार्थी-ऐनी कौन चीज है, जिसका मूल्य रुपयोमे न ऑका जा सके ? __ अध्यापक-नि म्वाथ प्रेम, मेवा और अभयदानादि, अथवा क्रोधादि कषायोका त्याग और दयाभाव बहुतमी ऐमी चीज है जिनका मूत्य रुपयांम नहीं प्रांवा जा सकता । उदाहरणके लिये एक मनुष्य नदीमे इव रटा है वह दरखकर तट पर खडा हुआ एक नौजवान, जिमका पहलेसे उम डूबनेवाल के साथ कोई सम्बन्ध तथा परिचय नहीं है, उसके दुग्नसे व्याकुल हो उटता है, दयाका स्रोत उसक हृदयम फूट पडता है, मानवीय कतव्य उसे पा धर दबाता है और वह अपने प्राणोकी कोई पर्वाह न करता हुआ-जान जोखोमे डालकर भी-एक्दम चढी हुई नदीमे कूद पडता है और • उस डूबनेवाले मनुष्यका उद्धार करके उसे तट पर ले आता है। उसके इस दयाभाव-परिणत प्रात्मत्याग और उसकी इस सेवाका कोई मूल्य नही और यह अमूल्यता उस समय और भी बढ़ जाती है जब यह मालूम होता है कि वह उद्धार पाया हुया मनुष्य एक राजाका इकलौता पुत्र है और उद्धार करनेवाले साधारण गरीब आदमीने बदलेमे कृतज्ञता-रूपसे पेश किये गये भारी पुरस्कारको भी लेनेमे अपनी असमर्थता व्यक्त की है। ऐसा दयादानी आत्मत्यागी मनुष्य लाखो रुपयोका दान करनेवाले दानियोसे कम बडा
SR No.010664
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages485
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy