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________________ नौकरोंसे पूजन कराना जैनियोमे दिन पर दिन यह बात बढती जाती है कि मदिरोमें पूजाके लिए नौकर रक्खे जाते है-श्वेताबर मंदिरोमें तो आमतौर पर अजैन ब्राह्मण इस काम के लिए नियुक्त किये जाते हैं और उन्हीसे जिनेन्द्र भगवानका पूजन कराया जाता है। पूजारियोके लिए अब समाचारपत्रोमे खुले नोटिस भी आने लगे हैं। समझमें नहीं आता कि जो लोग मदिर बनवाने, प्रतिष्ठा कराने रथयात्रा निकालने और मदिरोमें अनेक प्रकारकी सजावट आदिके सामान इकट्ठा करने मे हजारो और लाखों रुपये खर्च करते हैं वे फिर इतने भक्तिशून्य और अनुरागरहित क्यो हो जाते हैं,जो अपने पूज्यकी उपासना अर्थात् अपने करनेका काम नौकरोसे कराते हैं ? क्या उनमे वस्तुत अपने पूज्यके प्रति भक्तिका भाव ही नहीं होता और वे जो कुछ करते हैं वह सब लोकदिखावा, नुमायश, रढिपालन और बाहरी वाहवाही लूटने तथा यशप्राप्तिके लिए ही होता है। कुछ भी हो, सच्चे जैनियोके लिए यह एक बडे ही कलक और लज्जाकी बात है। लोकमे अपने अतिथियो तथा इष्टजनोकी सेवाके लिए नौकर जरूर नियुक्त किये जाते हैं, जिसका अभिप्राय और उद्देश्य होता है अतिथियों तथा इष्टजनोको आराम और सुख पहुँचाना, उनकी प्रसन्नता प्राप्त करना और उन्हे अप्रसन्नचित्त न होने देना।
SR No.010664
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages485
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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