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________________ बोलियों का अत्याचार घोर मानसिक पापोका बचा करते रहे और इन पापोंने उदयमे आकर जम-जन्मावरोंमें इन्हें बब ो नीचा दिखाया। जैनियोका ग्रह गुड्का गुडीका खेल (बाल्यविवाह ) बड़ा ही हृदयद्रावक हैं । इसने जनसमाजकी जड़में बड़ाही कुठाराघात किया है। ___ इस प्रकार जैनियोने बहुत बड़े बड़े अत्याचार किये हैं। इनके सिमा और जो लोटे-मोटे अत्याचार किये हैं उनकी कुछ गिनती ही नही है । जैनियोंके इन अत्याचारोंसे जैनधर्म कितना कलकित हुमा और जगतमे कैसे कैसे अनर्थ फैले इसका कुछ ठिकाना नहीं है। जैनियोके इन सब अत्याचारोही का फल उनकी वर्तमान दशा है। बल्कि नही, जैनियोमे इस समय जो कुछ थोडी बहुत अच्छी बाते बची-खुची हैं उनका श्रेय स्वामी कुन्दकुन्द, समन्तभद्र, पूज्यपाद, अकलकदेव, विद्यानन्द और पिद्धसेन आदि परोपकारी आचार्यों तथा अन्य परोपकारी महानुभावोको प्राप्त है। ऐसे जगद्वन्धुअोके आश्रित रहनेसे ही जैनधर्मके अभी तक कुछ चिन्ह अवशेष पाये जाते हैं, अन्यथा आम तौर पर जैनियोके अत्याचार उनकी सत्ताको बिल्कुल लोप करनेके लिए काफी थे । जब तक जैनियोने अत्याचार करना प्रारभ नही किया था तब तक इनका बराबर डका बजता रहा, ये खूब फलते और फूलते रहे । परन्तु जबसे ये लोग अत्याचारो पर उतर पाए तभीसे इनका पतन शुरू हो गया । और आज वह दिन या गया कि ये लोग पूरी अधोदशाको पहुँच गये है । जैनियोके अत्याचार जैनियोको खूब ही फले- इन्होने अपने कियेकी खूब सज़ा पाई। ये लोग दूसरोको धर्म बतलाना नही चाहते थे, अब खुद ही उस धर्मसे वचित हो गये, दूसरोको घृणाकी दृष्टि से देखते थे, अब खुद ही घृणाके पात्र बन गये, जिस बल, विद्या और ऐश्वर्य पर इन्हे घमड था वह सब नष्ट हो गया, ये लोग अपने आपको भले ही जीवित समझते हों परन्तु जीवित समाजोमें अब इनकी गणना नहीं है, इनको गणना है मरणोन्मुख समाजोमें। जैनो लोग अन्धकारमे पड़े हुए
SR No.010664
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages485
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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