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________________ MARAW महामहोपाध्याय श्री यशोविजयजी कृच. क्षेपो "जे अइया सिद्धा" ए गाथामां छे, पण ए गाथा कुमति माने नहीं, तेने चोवीशत्या मांहेज देखाडे छे. नामद्रव्य के नामनिक्षेपो अने द्रव्यनि पो. दोय भावू के• ए पन्ने निक्षेपा भाई कुं. ते द्रष्यनिक्षेपो एम जे ऋपभादिक तिर्थकरने वारे जे प्रभु विचरता ते भावतीर्थकर जाणवा, पण वीजा वीश तीर्थकर रह्या ते चोवीशत्थामां द्रव्यनिक्षेपे वंदाणा. यत:-"भूतस्य भाविनो वा भावस्प हि कारणं तु यल्लोके। तत् द्रव्य तत्वज्ञैः सचेतनाचेतनं कथितम् ॥१॥ इतिवचनात् ॥ तथा वळी हमणां जे चोवीशत्यो कहेछे तेने "अरिहंते कित्तइस" अथवा "तिस्थयरा मे पसीयंतु" इत्यादिक पाठ कहेता मृपावाद लागेछे, जे माटे हमणां तो चोचीशे भावनिक्षेपे सिद्ध छे ते मारे पूर्व भावनो उच्चार लेइ द्रव्यनिक्षेपे वांदतांज सत्य थाय ते विचारी जोजो, एटले चोवीसस्थामांहे नाम अने द्रव्य ए वे निक्षेपा फलान्या. हवे थापनानिक्षेपी कहेले. काउस्सग्ग आलावेके० काउस्सग्ग करवानो आलावो जे "अरिहंत चेईआण करेमि काउस्सग्गं वंदणवत्तिए पूअणवचिआए।"इत्यादिक पाठ उच्चारतां ठवणाके० थापनानिक्षेपो भावुछु. अर्थ-अरिहंतनी प्रतिमाने वंदन पूजनथी जे फल होय, ते फलने अर्थे काउस्सग के०काउस्सग्ग करुंछु. अहीयो ढुंदी एम कहेछे जे अमे ए आलावो मानता नथी. तेनो उत्तर जे, आवश्यक सूत्रमांनो आलावो खंडित थाय तो पांचगं काउस्सग्ग नामे आवश्यक केम थाय? तथा आवश्यकसूत्र आज छे, तेमां ए पाठ छे ते केम ओलवाए? अने जे ओलवे तेने माथे आज्ञाभंगरूप वज्रदंडनो घात पडे. तथा आ स्तबनने अनुमाने जाणीए छैए, जे पूर्वे हुँदीमा आ आलावो मानता दीसेछे, पण हमणांज ना कहेछे. बाकी जो पूर्वे न मानता होय तो तेनी साख आ स्तवनमाज केम होय? इतिभाव. एम श्रीजा निक्षेपार्नु ध्यान क्रियामाहे आव्यु, अने भाव ते सघले लावुके भावनिक्षेपो तीर्थकरनो जे केवल ज्ञानादि गुणरूप ते तो ध्यान द्वाराए सर्वत्र क्रियासमाप्ति यावत् हदयमांहे लावूछु. इति चतुर्य गाथार्थ ॥ ४ ॥ ___एवं चार निक्षेपा आवश्यक क्रियामांहे देखाउया. हवे केटलाएक इंडीआ एम कहे छे जे-अमे आवश्यक सूत्र मानीए छैए पण ते आ तमे कहो छो ते आवश्यक छे नहीं.. तेने उत्तर देछे जे समोने कोणे कड्यु के ते आवश्यक नहीं ? ते विषेनो तो केवली विना निरधार शाय नहीं. वेवार ढुंदीआओ कहे के तमने कोणे का जे आवश्यक ते तेज छे? तेनो उत्तर जे अमे तो आगम प्रमाणे मान्यु. तेज आगली गाथाए देखाडे छे. पुस्तक लिखित सकल जिम आगम, तिम आवश्यक पह। भगवई नंदी साखे सम्मत, तेहमां नहीं संदेहरे ॥ जि० ॥ तु० ५॥ अर्थ-पुस्तकलिखित जेम समस्त आगम के सिद्धांत छे. तेम ए आवश्यक पण पुस्तकलिखित छे. तथा भगवई साखे के श्रीभगवतीस्त्रमांहे आवश्यकनी भलामण छे. यथा"जहा आवस्सए" इति तथा वली नंदीसाखेके नंदी सून मध्ये पण सर्व सूत्रनां नाम कयां,
SR No.010663
Book Title125 150 350 Gathaona Stavano
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDanvijay
PublisherKhambat Amarchand Premchand Jainshala
Publication Year
Total Pages295
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, & Religion
File Size14 MB
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