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________________ अर्थ-गुणनो रागी होय धर्म उपर राग धरे तथा गुणनो संग्रह फरे नवा गुण अंगे आणे गुण अनंत के० घणा गुणवंतने दूसे न के० दुःखवे नहीं एटले ए भाव जे गुण घणा होय अने कदाचित् कोइक दोप होय तोपण तेने दुःखवे नहीं. यत:-"भूरिगुणा विरल चिय, इकगुणो वि हुजणो न सवत्य । निदोसाण वि भई, पसंसिमो थोवदोसेवि ॥॥" इत्यादि तथा निर्गुणने उवेखे के० दुखवे नहीं तेमज स्तवे पण नहीं अने गुणवंत जे देशविरति सर्व विरतिवंत तेनो बहुमान करे जे धन्य एनो अवतार इत्यादिक गुणरागीनामा ते वारमो गुण थयो ।॥ १४ ॥ अशुभ कथा कलुषित मति, नासे रतन विवेक । धर्मार्थी सतकथा हुए, धर्मनिदान विवेक ॥ १५ ॥ अर्थ-अशुभ कया जे स्त्रीआदिकनी कथा तेणे करीने कल्लुपित मति ययी छे जेहनी ते माणीने विवेकरूप रन सदसद्वस्तुनु जे परिज्ञान तद्रूप रन नासे ते माटे धर्मार्थीथको सत्कथक होय तीर्थंकर गणधर महर्षि ममुखना चरित्र कहे जे धर्मार्थी ते धर्मनो अर्थीयको ए सत्कथाज धर्म निदान छे विवेक के विभाग छे जे अशुभ कथानो त्याग अने शुभकथा करवी ए तेरमो गुण ॥ १५ ॥ धर्मशील अनुकूल यश, सदाचार परिवार । धर्म सुपक्ख विघने रहित, करी शके तेसार ॥ १६ ॥ अर्थ-हवे सुपक्षयुक्तनामा चउदमो गुण कहे छे ते जेनो परिवार ते धर्मशील के० धर्म करवाना आचारवाली छे अनुकूल के० धर्ममा विघ्न न करे तेवो तथा यशवंत अने सदाचारी परिवार होय एवो मुपक्स के० मुपक्ष गुणवंत विघ्ने रहित होय ते पुरुष सार के० प्रधान एवो जे धर्म ते भते करी शके ॥ १६ ॥ मांडे सवि परिणाम हित, दीरघदर्शी काम । लहे गुण दोष वस्तुना, विशेषज्ञ गुणधाम ॥१७॥ अर्थ-हवे दीर्घदर्शीनामा पन्चरमो गुण कहे छे ते जे काम के कार्य मांडे ते परिणामे हितकारीज होय उपलक्षणयी तेमां लाभ घणो होय अने क्लेश अल्प होय बहु लोकने पर्शसनीक होय. यत:-" आढवइ दीहदसी, सयलं परिणामसुंदरं कजं । बहुलाममप्पकेस, सलाहणिज्ज बहुजणाणं ॥१॥" इति धर्मरनमकरणे. हवे विशेषज्ञनामा सोलमो गुण वखाणे छे जे लहे के० जाणे वस्तुना गुण दोष एटले ए अर्थ जे पक्षपात विना वस्तुना गुण दोष सर्वने जाणे जो पक्षपात होय तो गुणमां दोप काढे अने दोषमां गुण काढे पण मध्यस्थ बुदिने यथास्थित भासे एवो विशेषज्ञ ते गुणर्नु धाम के० घर होय ॥ १७ ॥
SR No.010663
Book Title125 150 350 Gathaona Stavano
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDanvijay
PublisherKhambat Amarchand Premchand Jainshala
Publication Year
Total Pages295
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, & Religion
File Size14 MB
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