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________________ (२७) ॥ ढाळ पांचमा।। ॥राग रामग्री-मंत्री कहे एक राजसभामां-ए देशी.॥ विषमकालने जोरें केई, उव्या जड मलधारीरे। गुरु गच्छ छोडी मारग लोपी, कहे अमें उग्र विहारीरे ॥१॥ श्रीजिन तुं आलंबन जगने, तुज विण कवण आधारोरे । भगत लोकने कुमति जलधिथी, बाहिग्रहीने तारोरे॥श्रीजिन०२॥ अर्थ-विपमकालने जोरें के० पांचमो आरो तथा हुंडाअवसप्पिणीकालने जोरे केटला एक उट्या के० प्रगट थया जड के० मूर्ख वली मलधारी के० वाद्यशरीरे पण मेला अने अंतरंग पाप मेले करी मलीन थयेला माटे मेलना धरनारा कह्याएटले ए भाव जे ए ढाल पाए दुढीआ लुंका आश्री छे. वली वीजा जीवोने पण शिखामण दाखल छे. हवे ते दुढीआओने माथे गुरु नथी माटे एम कडं जे उठ्या जड मलबारी, उकंच वंगचूलिकायां श्रुत हीलना अध्ययने "विकमकालाओ पन्नरसय पणहत्तरी वासेसु गएमु कोहंडी अपरिग्गहीयवंतरी पहावाओ भारहे वासे ॥१॥ सुयहीलणा जिणपडिमाभत्तिनिसेह कारया, सच्छंदाचारा दुमेहा मलिणा दुग्गइगामिणो, बहवे मिस्कायरा समुप्पजिहितित्ति ।" एटले गुरुने तथा गच्छने छांडी मारग लोपी के० उन्मार्ग मरुपीने तथा तेमने कोइ पुछे तेने एम उत्तर आपे जे अमे उग्रविहारना करनार छीए तथा अमे अद्भुत मार्ग पाम्या छै माटे श्रीजिनके० बाह्य अभ्यंतर लक्ष्मीयुक्त एहवा हे जिनराज तुंज जगतने आलंबनके० आधार छे पण हे प्रभु तमारा विना वीजो कोण आधार छे तमे तमारा भक्तिना करनारा जे भक्त लोक छे तेहने कुमतिरूप जलधि के० समुद्र ते थकी बांहि ग्रहीने तारो के पार उतारो एटले नव नवा कदाग्रह उपजता वारो ॥२॥ ' गीतारथ विण भूला भमता, कष्ठ करे अभिमानेरे। प्रायें गंठी लगें नवी आव्या, ते खूता अज्ञानेरे ॥श्रीजिन०३॥ अर्थ-हवे ते मूर्खलोक गीतार्थ विना भूलाज भमे छे अहंकारे करी जे पोतानो एक मत पकड्यो तेहना अभिमाने करी लोच, मिक्षा, उघाडं माथु, उघाडा पग इत्यादिक कष्ट करता फरे छे, पण पायें एम जाणीयें छैयें जे ते लोक गंठी लगे पण आव्या नथी एटले गंठीभेद प्रण नथी को तो समकितनी वात तो वेगली छे ते पाणी अज्ञानने विषेज खूता छे केमके गुरुआणा विना छे माटे इतिभाव ॥ ३ ॥ तेह कहे गुरु गच्छ गीतारथ, प्रतिबंधे शुं कीजेंरे । दर्शन ज्ञान चरित आदरियें, आपें आप तरीजेंरे ।।श्रीजिन०४॥
SR No.010663
Book Title125 150 350 Gathaona Stavano
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDanvijay
PublisherKhambat Amarchand Premchand Jainshala
Publication Year
Total Pages295
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, & Religion
File Size14 MB
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