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________________ महामहोपाध्याय श्री यशोविजयजी कृत. खाय २, गज्जिए के० मेघनु गाजवू ३, विजुए के वीजलि ४, गंधव्वनयरे के० आकाशे गांधर्व देव विशेष तेहनां नगर देखाय. अहींयां गांधर्व नगरने ठेकाणे जवए एहवो पाठछे. त्यां, जुपए के० ज्या संध्यानी कांति अने चंद्रकांति ए युगपत्समकाले भेली थाय ते अजवाला पक्षना पडवे, वीजे अने पुनेम ए प्रण दिन-ए वेला सांजे असज्याय ५, णिग्याए के० वादलां होय अथवा न होय पण व्यंतरकृत महा गर्जारव शब्द ते निर्घात कहीए ६, जक्खालित्ते के० कोइ लक्ष आकाशे देदीप्यमान देखाय ७, धूमिआ के धूमरी वरसे ८, महिआ के० ते धूमरीमा पण धूमर अने महिकामां कांइक वर्णकृत भेद जाणवो ९, रउग्याए के० सहेजे विश्रसा परिणामे रजोदृष्टि थाय १०,इति. तथा बली-" दसबिहे ओरालिए असज्झायं पन्नत्ते, अट्ठि मंसे सोणिए असुइसामंते मुसाणसामते चंदोवरागे सरोवरागे पडणे रायबुग्गहे वस्सयस्स अंतो ओरालियसरीरे ॥" व्याख्या-दश कारनी ओरालिए के० औदारिक जे विर्यच मनुष्य संबंधी असल्झाइ, अट्ठि के हाड १, मैसे के० मांस २, सोगिए के० रुधिर ३, ग्रंथांतरे चर्म पण कयु छे. तिर्यचनी साठ हाथ प्रमाण, मनुष्यनी सो हाथ प्रमाण, ऋतुकाल स्त्रीनी दिन त्रण, पुत्री जन्मे दीन आठ, पुत्र जन्मे दिन सात, अने हांडनी जीव रहित थया पछी वार वरस लगे असज्झाइ । तथा असुइसामते के० अत्यंत दुर्गध अशुचि-विष्टा प्रमुख पासे दुकडी होय तो असल्याइ४, मुसाणं सामते के० श्मशान पासे अमझाइ ५, चंदोवरागे के चंद्रनुं ग्रहण ६, सूरोवरागे के० सूर्य ग्रहण ७, पडणे के० मर-ते अहींयां राजा प्रधान सेनापति प्रमुख महर्दिक ठेवू ८, रायवुग्गहे के० राजाना संग्राम थता होय नेवारे असल्झाय ९, उपस्सयस्स अंतो ओरालियसरीरे के० उपाश्रयमा औदारिक शरीर जे मनुष्यादिकतुं शरीर होय ते असज्झाइ १०-ए सर्व असज्झायना विशेषमकार नियुक्ति प्रमुखथी तथा गुरुपरंपराथी जणाय ॥ १५ ॥ सूत्र अरथ पहेलो बीजो कह्यो । निजुत्तीएरे मीस ॥ निरवशेष त्रीजो अंग पंचमे । एम कहे तुं जगदीश ॥स०॥१६॥ अर्थ-सूत्र अरथ पहेलो के० प्रथम सूत्रार्थ आपे, एटले गुरु, शिष्यने जेवारे अर्थ आपे, तेवारे पथ यी शब्दार्थ मात्र आपे. ते रूडी रीते आवड्या पछी, वीनो को निजुत्तिए मीस के० वीजीवार तेज सूत्रनो नियुक्ति सहित ते निक्षेपा सहित व्याख्यान करी शीखवे. निरवशेष त्रीजो के० वीजी वार अर्थ आवड्या पछी त्रीजो समस्त कहे. एटले त्रीजीवार प्रसंगे प्रसंगे दृष्टांत हेतु नय प्रमुख सर्व कहे. एटले भाष्य, टीका, चूर्णि, ए त्रीजी व्याख्यामां समाणां ए सूत्रनियुक्ति प्रमुख पंचांगी मानवी देखाडी. अंग पंचमे के० श्री भगवती सूत्रमध्ये एम कहे तुं जगदीश के०हे जगदीश? एम हूँ कहेछे. अहीयां भक्ति वचन माटे तुकार शद्ध कयो छे. यंत:-"मुत्चत्यो खलु पढमो, बीओ निज्जुत्तिमीसिओ भणियो।
SR No.010663
Book Title125 150 350 Gathaona Stavano
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDanvijay
PublisherKhambat Amarchand Premchand Jainshala
Publication Year
Total Pages295
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, & Religion
File Size14 MB
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