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________________ महामहोपाध्याय श्री यशोविजयजी कृत. शासननी जे प्रभावना ।। ते समकितनो आचारोरे॥ श्री जिनपूजाए जे करे । ते लहे सुजश भंडारोरे ॥ शा० ॥ २५ ॥ अर्थ-शासननी के० जिनशासननी, जे प्रभावना के० शासन उजलं देखाडवू, जे देखी लोक प्रशंसा करे, ते समकितनो आचारो के० ते समकितनो आचार छे. यतः श्री उत्तराध्ययन अठावीशमे अध्ययने कयु छे-"निस्संकियनिकंखियनिन्वितिगिच्छा अमूह दिही य । उववूह थिरीकरणे, वच्छल्लपभावणे अटू ॥१॥" अर्थ-निस्सकिय के देशथी सर्वथी शंका न करवी. १ निकंखिय के० अन्यदर्शननी वांच्छा न करवी.२ निच्चितिगिच्छा के० फलनो-संदेह न राखवा. अथवा मल मलीन गात्रदेखीने साधुनी दुगंछा न करवी. ३ अमूढदिठी य के० कुदर्शनीना विद्या चमत्कार देखे तोपण जिनशासन रुडे जाणे. पण. मतिमूढ न थाय. ४ ए चारे श्रद्धारूप अंतराचार छे. हवे वाह्यक्रियारूप चार आचार कहेछे. उववूह के प्रशंसा करीने गुणवंचना ते ते गुणर्नु वधार. ५ थिरीकरण के धर्माशुष्टानमां सीदाताने थिर करवा ६ वात्सल्यं के० साघमिकोने भातममुखे उचित मतिपत्तिनु कर..७ पभावणा के जेथकी जिनशासननी उन्नति थाय. एवी चेष्टाए वर्तवु. ८ तेमाटे मभावना ते समकितनो आठमो आचारछे, ते श्रीजिनपूजाए जे करे के श्रीजिनेश्वरनी पूजाए जे माणी शासननी उन्नति करे, ते लहे मुजश भंडारो के० ते पाणी पूजा करीने शासननी प्रभावनानो करणहार भलो-जशनो भंडार पामे. एटले पूजा, तीर्थ यात्रा, संघ काढवे शासननी प्रभावना थायछे एम देखाइयु. तथा जश एवं पोतानुं नाम पण कविए सूचयु. इवि पंचविंशतमी गाथायें ।। २५ ॥ एम श्रीजो ढाल संपूर्ण थयो. ग्रंथाग्रंथ ५१३ अक्षर १६ सर्व ग्रंथाग्रंथ मलीने १५२४ अक्षर-१० हवे चोथो ढाल कहेछे. तेहने पूर्व ढालसाथे ए संबंध छे, जे त्रीजा ढालमां पूजानो अधिकार कयो, हवे ते कुमति, पूजामां हिंसा माने छे तेहने जवाव देवा चोथो ढाल कहे छे, ए संबंधे आव्यो चोथो-ढाल तेहनी ए प्रथम गाथा कहेछे, ॥ दाल चोयो ।। झांझरिया मुनिवर धन धन तुम अवतार ए देशी ॥ कोइ कहे जिन-पूजतांजी ॥ जे षट्काय आरंभ ॥ ते कम श्रावक आचरे जी ।। समकितमां थिरथंन ॥ सुख दायक तोरी आणा मुज सुप्रमाण || टेक ॥१॥ अर्थ-कोइ कहे जिन पूजता के० कोइक तो इंढीआ एम कहे छे जे परमेश्वरनी पूजा करता थका, जे पट्काय आरंभा के छ कायनी जे हिंसा थाय छे, ते के० ते पूजा केम श्रावक आचरे के० श्रावक केम करे? समकितमां थिरथम के समकिन,
SR No.010663
Book Title125 150 350 Gathaona Stavano
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDanvijay
PublisherKhambat Amarchand Premchand Jainshala
Publication Year
Total Pages295
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, & Religion
File Size14 MB
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