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लंधिसार
[ गाथा ४६
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प्रथमसमयमे जो प्रथमखण्ड है वह ऊपर किसीके साथ भी समान नही है । पुनः प्रथमसमयका दूसरा खड (४०) तथा द्वितीयसमयका प्रथमखंड (४०) दोनो सदृश ही है, तथैव प्रथमसमयका तृतीयखण्ड (४१) और द्वितीयसमयका दूसराखड (४१) समान है । इसीप्रकार आगे जाकर पुनः प्रथमसमयका अन्तिमखंड (४२) एव द्वितीयसमयका द्विचरमखण्ड (४२) सदृश है, तथैव द्वितीयसमयके परिणामखडोका
और तृतीयसमयके परिणामखंडोका सन्निकर्ष करना चाहिए । एवमेव ऊपर भी पिछले की तदन्तरोके साथ सन्निकर्षविधि जानकर कहनी चाहिए'। इसप्रकार अनुकृष्टिप्ररुपणा समाप्त हुई।
१. ज.ध पु १२ पृ २४१ प्रकरण ६२ ।