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. : (१४५ ) जाव जरा न पीडइ वाही जाव न वटइ। . ... . जाव इंदिआ न हाअन्ति ताव धम्म समाचर ॥ ५ ॥ पंथसमा नत्यि जरा खुहासमा वेअणा नत्यि। ' मरणसमं नत्यि भयं दारिदसमो पराभवो नत्थि ॥६॥ मूलं धम्मस्स दयाऽसेसनीवाणं सा होइ जणणी । जं तसथावरजीवाणं खणं जइधम्मो होइ ।। ७ ।। वरमग्गिम्मि पवेसो वरं विसुद्धेण कम्मणा मरणं । मा गहिअन्वयमंगो मा जीविखलिअसीलस्स ॥ ८॥ को चक्कवष्टिरिद्धि चयिउं दासत्तणं सममिलसइ । को व रयणाई मोत्तुं परिगेण्हइ उवलखंडाई ? ॥९॥ . लभइ सुरसामित्तं लब्मइ पहुअत्तणं न संदेहो । एंगे नवरि न लब्भइ दुल्लहरयणं च सम्मत्तं ॥ १० ॥ . निन्दपसंसासु समो समो अ माणावमाणकारीसु । समसयणपरयणमणो सामाइअसंगओं जीवो ॥ ११ ॥ आणाइ तवो आणाइ संजमो तह य दाणमाणाए। आणारहिओ धम्मो पलालपूछन्च पडिहाइ ॥ १२ ॥ रणो आणामंगे इसकुच्चिय होइ निग्गहो लोए । सवण्णुआणाभंगे अणंतसो निग्गहो होइ ॥ १३ ॥ . . सम्वो पुवकयाणं कम्मणां पावो फलविवायं । . . अवराहेसु गुणेसु अ निमित्तमित्तं परो होइ ॥ १४ ॥
जहा खरो चंदणमारवाही . भारस्स भागी न हु चन्दणस्त । · एवं खु नाणी चरणेण हीणो
भारस्स भागी न हु सुग्गईए ॥ १५ ॥