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तृतीयाध्याये.
पृष्ठम्
पत्रम्
पृष्ठम्
पतितः
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पञ्चम् सबद्धाः अति सिक्त्ना अति स्तुला, निवर्तयति
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अशुद्धम् धातुसंवद्धाः अति स्तुखा निवर्तयति प्रयुज्यते बुद्धि खभ्य
पङ्क्तिः अशुद्धम् ६ गायि
इतश्च ५ ण्यत्र
तन्त्री संचाय
शुद्धम् णाति इतेश्च त्यत्र तन्द्रितन्त्रि
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युज्यते
Miravinam -currower-0
ma-RAMANASAMA
संचीय
बुद्धि रभ्य
तन्त्री
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तान्द्रतान्त्र * गलु
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तिष्ठ
फल फली
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फलूफली नादा
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नापा
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सुमना
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गुनना ३।१। शैवाली
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रोऽन्यत्र ८ मत्वा
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शेवाली
रो यप् च भूत्वा धान
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"प्याने
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९ । मेवेति ।
भवति
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