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श्रीप
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स्वर्णवणी पण भूपणदूषणानि भाणस्तथा किणरणप्रवणानि चूर्णः ॥ १५ ॥ तोरणपूर्तनिकेतनिवाताः पारतमन्तयुतप्रयुतानि ॥ क्ष्वेडितमक्षतदैवतट्टचैरावतलोहितहस्तशतानि ॥ १६ ॥ व्रतोपवीतौ पलितो वसन्तध्वान्तायुतयूतघृतानि पुस्तः ॥ शुद्धान्तस्तौ रजतो मुहूर्तद्वियूथयूथानि वरूथग्यौ ॥ १७ ॥ प्रस्थं तीर्थ प्रोथमलिन्दः ककुदः कुकुटाष्टापदकुन्दाः ॥ गुददोहदकुमुदच्छदकन्दार्बुदसौ धमथोत्सेधकवन्धौ ॥ १८ ॥ श्राद्धायुधान्धौपधगन्धमादनप्रस्फोटना लग्नविधानचन्दनाः । वितानराजादनशिश्रवदनापीनोदपानासनम्॥ १९ ॥ नावमानः समाददानमा निविधानाननसा भन
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प्राधान्यात्मनोऽपि ॥ दूषण २ उपालम्भ || भाग २ प्रबन्धभेद् किr २ वग्ग्रन्थि ॥ रण २ सपराय ॥ प्रवण २ चतुष्पथम् ॥ चूर्ण २ क्षोद ॥ १५ ॥ तोरण २ वन्दनमाला द्विरिनिर्यूह ॥ पूर्त २ खानादि कर्म । निकेत २ आवास निवास २ गृह दुर्भेद धर्म च ॥ वातरहिते प्रदेशे व्यायता | पारत २ रसेन्द्र | अर्थप्राधान्यात्पारदमपि ॥ अन्त २ प्रान्त समीप स्वरूप च ॥ उपलक्षणत्वात्मान्त प्रान्तमपि । युतम् २ अपानम् प्रयुत २ दश लक्षाणि ॥ क्ष्वेडित २ सिंहनादविशेष ॥ अक्षता अक्षतम् मनस्तण्डुला | पुसि बहुवम् ॥ दैवत २ देवता ॥ वृत्तम् २ शील निस्त च ॥ मेरावत २ सुरेन्द्रदन्ती ॥ लोहित २ सोणितम् ॥ गुणवृत्तिस्त्वाश्रयति ॥ हस्त २ कर | रात २ पञ्च विशतय ॥ १६ ॥ २शाखितो नियम ॥ उपवीत २ कण्ठसूत्रम् ॥ पलित २ पक्केश केशपाके कर्दमे च तान्तवानपुसकत्वम् । वसन्त २ सुरभि देवपुत्रविशेषश्च ॥ ध्वान्त २ तम ॥ अयुत २ दशसहस्राणि ॥ रात २ दुरोदरम् ॥ वृतम् २ आग्यम् । पुस्त २ लेख्यपत्रसंघात लेपादिकर्म च ॥ शुद्धान्त २ अन्त पुरम् ॥ स्त २ पकमासविशेष ॥ रजतो २ रूप्य श्वेत च ॥ मुहूर्त २ घटिकाद्वयम् ॥ द्वयोर्युगयो समाहारो द्वियूथ २ ॥ यूथ २ सजातीयपश्वादिसघात ॥ वरुय २ रथगुप्ति ॥ गूथ २ विष्ठा ॥ १७ ॥ प्रस्थ २ मानम् ॥ तन्मित वस्तुमान्न च ॥ शीयं २ पुण्यस्थान जलावतारथ ॥ प्रोय २ अश्वादेर्घोणान्तरम् ॥ अलिन्द २ गृहद्वारस्था स्थली ॥ ककुद २ कुकुदन श्रेष्ठ वृपस्कन्ध राजचिह च ॥ अष्टापद २ सुवर्ण यूतफलक च ॥ अर्थप्राधान्यात् शारिफलकमपि । गिरौ शलभे कपी चाद्विदेहिनामत्यात् पुखी ॥ कुन्द २ पुष्पविशेष निधिभेदमुरभिदोस्त पुस्त्वमुक्तमेव ॥ चक्रश्रमी च बाहुलकात्पुसि ॥ गुदम् २ अपानम् ॥ दोहद २ श्रद्वादी || हृदयस्य तु बाहुलकानपुसकत्वम् ॥ कुमुद २ कैरवम् । छद २ दल पिच्छ च ॥ कन्द २ पयोधर सस्यसूल च ॥ अर्बुदो २ दश कोटय ॥ कोटिरित्यन्ये ॥ स्थानविशेष अक्षिरोगविशेषध ॥ पर्वतविशेषे तु पुरुवमेव ॥ अथ धान्ता ॥ सीध २ राजगृहम् ॥ उत्सेध २ उन्नति । कबन्ध २ शिरोरहित काय ॥ १८ ॥ श्राद्ध २ पितृकर्म ॥ यस्तु त्यान्त स आश्रय ॥ आयुध २ प्रहरणम् ॥ अन्ध २ तम ॥ औषधो २ भेषजम् ॥ गन्धमादन २ पर्वताविशेष ॥ प्रस्फोटन २ शूर्यम् ॥ उग्न २ मेपादि ॥ पिधान २ सवरणम् ॥ अपे प्यादेशाभावेऽविधानमपि ॥ चन्दन २ मलयजतरु || चन्दनान्तत्वादरिचन्दनो देवदारु चन्दनविशेषथ || वितान २ विस्तार उल्लोच शून्य यज्ञथ ॥ राजादन २ पिपाल क्षीरिका च ॥ शिक्ष २ मेण्दू ॥ यौवन २ द्वितीय वय ॥ आपीनम् २ ऊध ॥ उदपान २ कूप ॥ असन २ वृक्षविशेष ॥ पनिर्देशादासनमुपवेशनम् ॥ केतन २ ध्वज ॥ अशन २ ओदन ॥ ११९ ॥ नलिन २ पमम् । पुलिन २ सैकतम् ॥ मौनो २ वाग्यम ॥ वर्धमान २ शराव ॥ समान २ तुल्य शरीरस्थो वायुविशेषश्च ॥ ओदन २ कूरम् ॥ दिनो २ दिवस ॥ शत मानान्यस्य शतमान २ भूभागविशेष रूप्यमान च ॥ हायन २ वर्ष रश्मि ॥ स्थानम् २ आश्रय ॥ मान २ दर्प ॥ धनो २ द्रव्यम् ॥ निधन २ विनाश कुल च ॥ विमानं २ व्योमयानादि ॥ तान २ व्यधनम् ॥ स्तेन २ चौर चौर्य च ॥ वस्त्र २ अवस्य ॥ धनवखयोस्तु क्लीवत्वम् ॥ भवन २ गेहम् ॥ भुवन २ जगत् ॥ यान. २ वाहनम् ॥ उद्यान २ क्रीडास्थानम् ॥
लघुन