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फनसतामरसादयः ।। ५७३ । फलिवल्यमेगुः ।। ७५८ ॥ फले फेलच ।। ८३॥ फलेगोऽन्तश्च ।। २९१॥
पृपलिभ्याटित्-स्य ॥११॥ पृपालिभ्याणित् ॥ २४८॥ प्याधापन्यनि-नः ॥ २५८॥ प्राशुः ।। ८२५॥ मः सद् ॥ ८९७॥ प्रथरिवट पृथ्च ।। ५२१ ॥ प्रथेलाचवा ॥ ६४७॥ प्रप्रतेयुधिभ्याम् ॥ ९२३ ॥ महाहाय-यः॥ ५१४॥ पाङः पणिपान-भ्यः ॥ ४२॥ पात्सदिरी-च ॥ ९१०॥ मात्स्थः ॥ ९२४॥ प्रादतेरर ॥ ९४५॥ भिग' कित् ॥ ६९॥ प्रीकैपनीलेर र ॥ ७६१ ॥ पुपिप्लुपिशुषि-सिक् ॥ ७७॥ प्लुज्ञायजिघाप-स्तिः ॥ ६४६॥ | प्लुषेः प्लप्च ॥ ५६६ ॥
बहिहेर्नलुक्च ॥ ९९०॥ वन्धिवहि-इत्रः ॥ ४५९ ॥ वन्धेः ॥१७॥ वलि विलि-आहकः ॥ ८॥ बलेजिंदा ॥ ५३६ ॥ वलेवोऽन्तश्चवा ॥१३३॥ बहुलंगुणवृद्धीचादेः ॥१९॥ बृहेनोंऽज्ञ ॥ ९१३ ॥ भजेः कगौच ॥ ४७७॥ भण्डेनलुक्चवा ॥ ४८२ ॥ भन्देवों ।। ३९१ ॥ भलेरिदुताचातः ॥ १०३ ॥ भातेडेवतु ॥८८६॥
भापाचणि-पः ॥ २९६ ॥ भिक्षुणी ।। १९८॥ भियः पोऽन्तश्चवा ॥ ३४४ ॥ मियोद्वेच ॥ ७८ ॥ भिल्लाच्छभल्ल-दयः॥ ४६४ ॥ भिपेमिषभिष्णौचवा ॥ १३१ ॥ भीवृधिरु-रः ॥ ३८७॥ भीण् शलिवलि-कः ॥२१॥ भुजिकुति-कित ॥ ३०५॥ मुजे कित् ।। ८०२॥ भुवोवा ।। ९२२ ॥ भूक्षिपिचरेरन्युक् ।। ८०४ ॥ भूगृवदिचरिभ्योणित ॥४६॥ भूभृकुशिविशि-कित् ।। ६९३ ॥ भूपणिभ्यामिज-च ।। ८७५ ॥ भृमृनृत्सरि-उ. ॥ ७१६॥ भृवृभ्यांनोऽन्तश्च ॥ १४॥ भृशीशापि-ऽथ: २३२॥ भ्रमिगमितनिभ्योडित् ॥ ८५३ ।।
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