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उदद्वा ॥ ६७२ ॥ उटिकुल्य - कुमः ॥ ३५९ ॥
|उन्देर्नलुक्च ॥ २७९ ॥ उपसर्गाच्चेत् ि॥ ७५४ ॥ उपसर्गाद्वसः ॥ २३३ ॥
| उभेर्द्वत्रौ च ॥ ६१५ ॥ उभ्यवेलुक् च ॥ ३०३ ॥ उर्देर्धच ॥ ५०७ ॥ उर्वेरादे रूदेतौच ॥ ८१४॥
उलेः कित् ॥ ८२८ ॥
उशेरशक् ॥ ५३१ ॥
उपेः किल्लुक्च ॥ ८८ ॥ उपेरधिः ॥ ६७५ ॥
उपेच ॥ ९६९ ॥ उर्णोऽन्तश्च ॥ ५५६ ॥
ऋकमृट - आलः ॥ ४७५ ॥ ऋकृवृ–उणः ॥ १९६ ॥ ऋच्यृजिहृषी-कित् ॥ ४८ ॥
ऋच्छचटिवटि - ररः ॥ ३९७ ॥ ऋजनेर्गोऽन्तश्च ॥ ४६७ ॥ ऋजिरिपि - कित् ॥ ५६७ ॥ ऋभ्यः ॥ ५५४ ॥ ऋज्यजितञ्जि - कित् ॥ ३८८ ॥
ऋञ्जिरञ्जि - ऽसानः ॥ २७९ ॥
ऋलृगृमृभ्राश्च ॥ ७२७ ॥
ऋतोरत्च ॥ ८४० ॥ ऋधिपृथिभिपि-कित् ॥ ८७४ ॥ ऋशि जनि-कित् ॥ ३६१ ॥
ऋःशीक्रुशि - कनिप् ।। ९०६ ॥ ऋषि ऋषि लुसि-कित् ॥ ३३१ ॥
|ऋव्यालि-रडः ॥ १७१ ॥
ऋहृसृमृधृ-णिः ॥ ६३८ ॥
ऋतष्टित् ॥ ९ ॥ ऋद् घृटकु-कित् ।। ६३५ ।। ऋद्भुहेः कित् ॥ १९५ ॥ ऋनहिहनि - उपः ॥ ५५७ ॥
एपेरिनिः ॥ ६८३ ॥
ए
क
ककिमकिभ्यामन्दः || २४५ ॥ ककुत्रिष्टुवनुष्टुभः ॥ ९३२ ॥ कफे णित् ॥ ६४० ॥
ककेरुभः ॥ ३३३ ॥
ककेनिंद्रा || २४३ ॥ करिच्चास्य वा ।। ६३९ ॥
कञ्चुकांशुक-यः ॥ ५७ ॥
कटिकुटयर्तेररुः ॥ ८१२ ॥ कटिपटिकण्डि-ओलः ॥ ४९३ ॥ कठिचकिसहि- ओरः || ४३३ ॥ कडेरेवराङ्गरौ ॥ ४४५ ॥
कणि भले वा ॥ ६० ॥ कण्यणिखनिभ्योणिद्रा ॥ १६९ ॥ कण्यणेर्णित् ॥ ५६ ॥
कदेणिद्रा ।। ३२२ ॥ कनिगदिमनेः सरूपे || ८ |
བང་