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________________ (22) अज्ञानांधकारको हटाकर सत्य ज्ञान-दर्शनका महात्म्य प्रगट करना / इस का लक्षण भगवान् समन्तभद्र प्रभावना करते है " अज्ञानतिमिरव्याप्ति मपाकृत्य यथायथ / जिन शासन माहात्म्य प्रकाशःस्यात् प्रभावना / " अर्थात अज्ञान अधकारके विस्तारको जिस तरह भी बने दूर करके जिनशासनके महात्म्यका-सत्यमार्गके महात्म्यका प्रकाश करना प्रभावना कहलाती है। इस गुणसे आत्मा भविष्यमें समवशरणसी महासभाका स्वामी बनता है जिस में कि वह सत्यमार्गका प्रकाश और अज्ञानका नाश करता है / उस महाशक्तिका प्रभावना एक सूक्ष्म रूप है / यहगुण दि. खलाता है कि अज्ञान अंधकारसे व्याप्त जगत्को देखकर इसके हृदयमें चोट लगी है और यह एक दिन सर्व विशुद्ध ज्ञानके प्रचारकी उत्कट इच्छा रखता है, और उसीका पूर्वरूप है जो वह प्रभावनाके रूपमें कर रहा है / सत्य ज्ञान दर्शनवाला आत्मा अज्ञानके दूर करने में विघ्नोंसे नहीं डरता उनके लिए नहीं ठरहता, किंतु अपने सत्य ज्ञान-दर्शनसे आगे और आगे बढता जाता है / इस गुणका लक्षण बाधनेमें भगवान् समन्तभद्रने जो * यथायथ' शब्द दिया है वह इस गुणकी धारक आत्माकी ओर भी विशालता प्रगट करता है / अर्थात् यह शब्द ही दिखलाता है और जैसा कि हमने ऊपर कहा है कि ऐसी आत्मा सत्यज्ञानका प्रकाश जैसे भी बने करनेमें नहीं हिचकता / इस गुणके न होनेसे प्रतीति होजाती है कि आत्मा डरपोक है निर्भीक नहीं है, उसे सत्य पर अभी पूर्ण विश्वास नहीं हुआ; क्योंकि अज्ञानको सन्मुख फैला हुआ देखते रहने पर मी, सत्यका खून होते हुए
SR No.010656
Book TitleAnitya Bhavna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year1914
Total Pages155
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Religion
File Size5 MB
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