________________ (41) कुछ शब्द सा हुआ और झट जाता रहा, और यह प्रतीत नहीं हुआ कि वह सुगन्धि वा शब्द कहां से आया था, तो ऐसी संदिग्ध वस्तुको व्यञ्जन कहते है / ___ मतिज्ञान के 336 भेद किए है इन को तत्त्वार्थसूत्रजी की टीकाओंसे जानना चाहिये। 2. श्रुतज्ञान-शास्त्र द्वारा जो ज्ञान प्राप्त हो उसे श्रुतज्ञान कहते है / शास्त्र चार प्रकार के है, (क) प्रथमानुयोग-इसमें इतिहास और महापुरुषों के चरित्रका वर्णन है। (History and Biography ) (ख) करणानुयोग-इस में लोक अलोक के विभाग तारागण और ग्रहादिक, युगों के पलटने और चारों गति नरक वर्गादिक 'का वर्णन है / ( Geography and Astronomy ) (ग) चरणानुयोग-इस में गृहस्थ और मुनियों के चारित्र का वर्णन है। (Murality and Ethics ) (घ) द्रव्यानुयोग-इस में जीव अजीव तत्त्वों, पुण्य पाप, बन्ध मोक्ष आदिक का व्याख्यान है / ( Philosophy and Logic ) 3. अवधिज्ञान-वह ज्ञान है जिससे हम अपने वा अन्य जीवों के कुछ पूर्व जन्मों के ( सारे जन्मों के नही ) और अन्य प्रकार के वृत्तान्त एक विशेष सीमापर्य्यन्त जान लेते है / इसके दो भेद है, (क) भवप्रत्यय-जो ज्ञान देव और नारकी जीवों को भव अर्थात् जन्म ही से होता है।