________________ ( 37 ) के अलग 2 सूख जाने का नाम निर्जरा है / और जैसा कि तलाव का सारा जल ज्येष्ठ वैशाख में सूर्य की तीव्र उष्णता से सर्वथा सूख जाता है और वह तलाव तलाव नहीं रहता, इसी प्रकार तप ध्यान और योगाभ्यास के द्वारा सम्पूर्ण शुभ और अशुभ कर्मों का नाश होजाता है और आत्मा का देह से सम्बन्ध टूट जाता है / मन, वचन, काय जो कमों के आगमन के मार्ग थे और पुद्गल या देह के अणु या भाग थे, आत्मा और पुद्गक के अलग 2 होजाने से आत्मा के साथ नहीं रहते; इस कारण नए कर्म उत्पन्न नही होते / पिछले कर्मों के न रहने और नए कर्मों की उत्पत्ति बन्द होने से आत्मा और पुद्गल का फिर दूसरी बार सम्बन्ध नही होता, आवागमन का तार टूट जाता है, पुद्गल के सम्बन्ध से आत्मा पर जो आवरण पड़ा हुआ था वह हट जाता है और आत्मा के वास्तविक या स्वाभाविक गुण सर्वज्ञता आदि प्रगट होने लगते है, इसी का नाम मोक्ष या मुक्ति है / फिर इस जीवात्मा का नाम परमात्मा हो जाता है / रत्नत्रय / पहले आत्मध्यान और मोक्ष के व्याख्यान में वर्णन किया गया था कि सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र मोक्ष वा मुक्ति के साधन है, इन्ही को रत्नत्रय भी कहते हैं / अब हम इन तीनों को संक्षेप से वर्णन करते है / ___ दर्शन, ज्ञान और चारित्र इन तीनों को इसी क्रम से किया गया है / दर्शनके अर्थ श्रद्धान या श्रद्धा करने के हैं / श्रद्धा को