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________________ (14) की सामर्थ्य नहीं है, इनके विपरीत जीव का गुण चेतना है और नीव चल फिर सक्ता है और जान सक्ता है / __ मूर्तीक जड़ पदार्थों में वर्ण, रस, गन्ध और स्पर्श गुण इन्द्रियों के द्वारा पाए जाते है / इन चार गुणों में से हम अपनी इन्द्रियों के द्वारा किसी 2 गुण को नही भी देख सक्ते और ग्रहण कर सक्ते है पर ये चारों गुण आपसमे इस प्रकार मिले जुले है कि जिस पदार्थ में एक गुण स्पष्ट होगा उस मे इतर तीन गुण भी होंगे। ___ इन पुद्गलों के कई भेद है / बड़े दो है 1 परमाणु 2 स्कन्ध सब से छोटे पुद्गल को परमाणु कहते है और अनेक परमाणुओं में एकपने का ज्ञान करानेवाले सम्बन्धविशेष को स्कन्ध कहते है। इन पुद्गलों मे अनन्त शक्ति और अनन्त गुण है / एक द्रव्य, दूसरे क्षेत्र, तीसरे काल, चौथे भाव निमित्तों के मिलने से भाति 2 की और चित्र विचित्र वस्तु देखने में आती है / यह सब पुद्गल का ही विस्तार है / देखो जिम वस्तु मे जैसे परमाणु आकर इकट्ठे हो जाते है वह वैसी ही दिखाई देती है, इसी प्रकार परमाणुओ के मिलाप से मूर्तीक अजीव या पुद्गल के अनेक भेद हो जाते है जैसे 1 वादरवादर 2 वादर 3 वादरसूक्ष्म 4 सूक्ष्मवादर 5 सूक्ष्म 6 सूक्ष्मसूक्ष्म / __ वादरवादर,-वे पुद्गल जो टुकडे हुए पीछे फिर अपने आप न जुड़ सके, जैसे धातु, पत्थर आदि / वादर,-जो अलग हुए पीछे फिर मिल जाएं, जैसे घृत, तैल, जल, आदि।
SR No.010656
Book TitleAnitya Bhavna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year1914
Total Pages155
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Religion
File Size5 MB
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