________________ (22) नहीं रहते / धीरे 2 उनका अज्ञान दूर होता जाता है और उनके हृदय में ज्ञानका प्रकाश होता रहता है / वे अपने द्वारा अपने में अपने अनंतज्ञान सौख्यादि शक्तियों के धारक शुद्धात्माका ध्यान करते हैं और अन्तमें कर्मों का नाश करके मुक्तिरूपी लक्ष्मीको प्राप्त कर लेते है। ऐसे पुरुष जबतक ससार में रहते हैं, तबतक अभय, मनकी शुद्धि, ज्ञानकी प्राप्ति, इन्द्रियदमन, क्षमा, धृति आदि निम्नलिखित गुणोंको अपनेमें धारण करते हैं और दैवी सम्पत्ति भोगने के अधिकारी होते है / यथा, अभयं सत्त्वसंशुद्धिर्ज्ञानयोगव्यवस्थितिः / दानं दमश्च यज्ञश्व स्वाध्ययस्तप आजेवम् / / अहिंसा सत्यमक्रोधस्त्यागः शान्तिरपैशुनम् / दया भूतेष्वलोलुप्वं मार्दवं हीरचापलम् / / तेजः क्षमा धृतिः शौचमद्रोहो नातिमानिता / भवन्ति सम्पदं देवीमभिजातस्य भारत // (भगवदीता) श्रीशुभचन्द्राचार्य ने योगीको मोक्षपद पानेके लिये ध्यान की आवश्यकता बतलाते हुए कहा है कि, प्रथम तो जीवों को मनुष्यजन्म ही दुर्लभ है। और यदि किसी जीवने मनुष्यजन्म प्राप्त भी कर लिया, तो उसे आत्मज्ञान प्राप्त करके अपना जन्म सुफल करना चाहिये / प्रत्येक पुरुषको पुरुषार्थ करना योग्य है / पुरुषार्थ में चार बातें अर्थात् धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष अनुगत है / परमज्ञानी और योगी पुरुष