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निवेदन ये व्याख्यान सितम्बर १६५३ मे पार्श्वनाथ विद्याश्रम के उपक्रम से कॉलेज ऑव इन्डोलोजी, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी मे जैसे दिए गए थे वैसे ही छपे है। मेरी मातृभापा गुजराती है, और मेरी हिन्दी मे जो कुछ गलतियों रह गई हो उसे जैसे श्रोताजनो ने क्षन्तव्य गिनी थी वैसे पाठकजन भी गिनेगे ऐसी आशा है । व्याख्यानो मे जो कुछ कमी हो या त्रुटि हो उसकी ओर मेरा ध्यान खीचने की पाठकजन से विनति है।
व्याख्यानो की पाडुलिपि देख कर हिन्दी सुधारने के लिए मै प्राध्या० रणधीर उपाध्याय एम० ए० साहित्यरत्न का और व्याख्यानो की छपाई मे परिश्रम करने के लिए प्राध्या० दलमुख मालवणिया का मै ऋणी हूँ। प्रोफेसर्स क्वार्टर्स ) अहमदाबाद
प्र.बे० पंडित मे, १६५४ )